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वाराणसी

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कमाल, आसान हुई कोरोना टीके की खोज, अब जल्द तैयार होने वाली है न्यूरो डीजेनेरेटिव बीमारी की दवा

आईआईटी बीएचयू में शुरू हुई ‘ड्रग डिस्कवरी में एआई’ पर राष्ट्रीय कार्यशाला। जुटे हैं देश भर के वैज्ञानिक। इस कार्यशाला में आए वैज्ञानिकों ने बताई दवा निर्माण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की उपयोगिता। कहा कि ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ही कमाल रहा कि कोरोना वैक्सीन की खोज इतनी जल्द हो सकी। अब न्यूरो डीजेनेरेटिव बीमारी की दवा भी बहुत जल्द तैयार होने वाली है।

वाराणसीMay 24, 2022 / 10:18 am

Ajay Chaturvedi

आईआईटी बीएचयू में शुरू विभिन्न रोगों की दवाओं की खोज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की उपयोगिता विषयक कार्यशाला

आईआईटी बीएचयू में शुरू विभिन्न रोगों की दवाओं की खोज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की उपयोगिता विषयक कार्यशाला

वाराणसी. ड्रग डिस्कवरी प्रतिमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आईआईटी बीएचयू में शुरू हुई कार्यशाला में अनेक महत्वपूर्ण जानाकारियां दी गई हैं। बताया गया कि किस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए कोरोना वैक्सीन की खोज इतनी जल्दी कर ली गई। अब न्यूरो डीजेनेरेटिव बीमारी की दवा भी बहुत जल्द तैयार होने वाली है।
दवा खोज प्रक्रिया को आगे बढ़ाने को सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मास्युटिकल उद्योग के बीच हो सहयोगात्मक शोध

इस मौके पर आईआईटी बीएचयू के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रो संजय सिंह ने कोविड महामारी युग के दौरान एआई द्वारा निभाई गई भूमिका की जानकारी दी। बताया कि कैसे एआई आधारित तकनीकों ने बहुत ही कम समय में टीका और चिकित्सा विज्ञान विकसित करने में मदद की है। उन्होंने दवा खोज प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मास्युटिकल उद्योग के बीच बहु-विषयक सहयोगात्मक अनुसंधान कार्यों का भी आह्वान किया।
बहुत जल्द तैयार हो जाएगी न्यूरो डीजेनेरेटिव बीमारी की दवा

अतिथि व्याख्याता पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के जैव रसायन विभाग के प्रो रजत संधीर ने इनसिल्को की मदद से न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी की दवा तैयार करने की प्रक्रिया की जानकारी दी। बताया कि न्यूरो डीजेनेरेटिव बीमारी की दवा निर्माण पर काम चल रहा है। सब कुछ ठीक रहा तो बहुत जल्द ये दवा भी तैयार हो जाएगी। उन्होंने दवा विकास रणनीति ध्यान केंद्रित करते हुए दवा की खोज में वर्तमान रुझानों को संशोधित करने में एआई की भूमिका के बारे में बताया।
ड्रग डिस्कवरी में मशीन लर्निंग टूल्स के बारे में दी जानकारी

आईआईटी बीएचयू के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के डॉ के लक्ष्मणन ने ड्रग डिस्कवरी में मशीन लर्निंग टूल्स के माध्यम से प्रतिभागियों से संवाद किया। बताया कि मशीन लर्निंग के विभिन्न पहलू किस प्रकार की तकनीकें हैं, कैसे और कहां ऐसी तकनीकों को लागू करना है। इनपुट डेटा में मुख्य रूप से क्या होना चाहिए, प्रिंसिपल कंपोनेंट एनालिसिस (पीसीए) की मूल बातें भी साझा की जानी चाहिए।
कंप्यूटर एडेड ड्रग डिज़ाइन की दी जानाकारी

आईआईटी बीएचयू के फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी विभाग के डॉ. सेंथिल राजा ने कंप्यूटर एडेड ड्रग डिज़ाइन के बारे में जानकारी दी। इस दौरान प्रतिभागियों को अधिक इंटरैक्टिव सत्रों के लिए एस्प्रीन के सक्रिय रूप में एक 3 डी प्रिंटेड मॉडल भी दिया गया।
एआई पारंपरिक दवा खोज दृष्टिकोणों में बदलाव लाने में करेगा मदद

इस कार्यशाला में देश भर के 20 अभ्यर्थी भाग ले रहे हैं। कार्यशाला सात दिनों तक चलनी है। कार्यशाला “ड्रग डिस्कवरी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता: क्विकिंग द पेस फ्रॉम बेंच टू बेडसाइड” एक्सेलरेट विज्ञान, विज्ञान और इंजीनियरिंग बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा प्रायोजित है। परंपरागत रूप से कार्यक्रम की शुरुआत बीएचयू के कुलगीत से हुई। फिर दीप प्रज्ज्वलित कर भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग प्रमुख प्रो एस हेमलता ने किया। बताया कि “एआई पारंपरिक दवा खोज दृष्टिकोणों में बदलाव लाने में मदद करेगा”। इसके बाद कार्यशाला के आयोजक डॉ. रजनीश कुमार ने कार्यशाला के बारे में विस्तार से बताया।

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