हिंदू कारीगर ही नियमों के हिसाब से बनायेंगे प्रसादम
मंदिर प्रबंधन की शर्तों के मुताबिक, प्रसादम बनाने में सिर्फ हिंदू कारीगर ही लगाए जाएंगे। धार्मिक मान्यता और नियमों के हिसाब से ही प्रसादम बनेगा। प्रसादम बनाने से पहले कारीगरों को स्नान करना अनिवार्य रहेगा। यह मामला ऐसे समय में सामने आया है, जब तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम की गुणवत्ता और उसमें मिलावट की जांच चल रही है।श्री काशी विश्वनाथ न्यास ने दस महीने पहले अपना प्रसादम बनाने का एलान किया था। इस पर काम शुरू हुआ और विद्वानों की टीम शास्त्र सम्मत प्रसादम बनाने की तैयारी में जुट गई। इसके लिए पुराणों का अध्ययन किया गया, फिर आटे के चावल से प्रसादम बनाने का फैसला हुआ।
भगवान शंकर को लगता है चावल के आटे का भोग
विद्वानों के मुताबिक, धान भारतीय फसल है। इसका जिक्र पुराणों में है। भगवान कृष्ण और सुदामा के संवाद में भी चावल का जिक्र है। भगवान भोले शंकर को चावल के आटे का भोग लगता था। बेल पत्र का महत्व है, इसलिए बाबा विश्वनाथ को चढ़ने वाले बेलपत्र को जुटाया गया, फिर इसे धुलकर साफ कराया गया। सूखने के बाद बेलपत्र का चूर्ण बनाया गया, फिर इसे प्रसादम में मिलाया गया।बाबा विश्वनाथ के प्रसाद को बनाने की जिम्मेदारी अमूल कंपनी को मिली है। कंपनी ने नियमों और शर्तों के मुताबिक , दस दिन का प्रसादम बना दिया है। इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण संस्था से मंजूरी मिल चुकी है।