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Varanasi News : काशी में आज से बदल जाएगा बाबा का प्रसाद, प्रसादम में रहेगा इन चीजों का मिश्रण

सीईओ विश्वभूषण मिश्रा ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर ने आज से परिसर में निर्मित प्रसादम् की बिक्री का फैसला लिया है। विजयदशमी पर प्रसादम बाबा विश्वनाथ को चढ़ाया गया और अब इसी प्रसाद की मंदिर परिसर में स्टालों से बिक्री शुरू की नियमित जाएगी।

वाराणसीOct 12, 2024 / 02:45 pm

anoop shukla

तिरुपति बाला जी मंदिर के प्रसाद में उठने वाली गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह को लेकर अब सनातन के सभी तीर्थ इस पर सतर्क हो गए हैं।विश्वनाथ मंदिर का अपना प्रसादम शनिवार से बिकने लगेगा। विजयदशमी पर प्रसादम बाबा विश्वनाथ को चढ़ाया जाएगा, फिर मंदिर परिसर में ही लगे स्टालों से बिक्री शुरू की जाएगी। प्रसादम शास्त्र सम्मत होगा।विद्वानों की टीम ने शास्त्रों के अध्ययन के बाद ही चावल के आटे, चीनी और बेल पत्र के चूर्ण से प्रसाद बनाया गया है। जो बेल पत्र बाबा विश्वनाथ को चढ़ाया जाता है, उसी का चूर्ण बनाकर प्रसादम में मिलाया गया है। प्रसादम बनाने के नियमों का सख्त रखा गया है।

हिंदू कारीगर ही नियमों के हिसाब से बनायेंगे प्रसादम

मंदिर प्रबंधन की शर्तों के मुताबिक, प्रसादम बनाने में सिर्फ हिंदू कारीगर ही लगाए जाएंगे। धार्मिक मान्यता और नियमों के हिसाब से ही प्रसादम बनेगा। प्रसादम बनाने से पहले कारीगरों को स्नान करना अनिवार्य रहेगा। यह मामला ऐसे समय में सामने आया है, जब तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम की गुणवत्ता और उसमें मिलावट की जांच चल रही है।श्री काशी विश्वनाथ न्यास ने दस महीने पहले अपना प्रसादम बनाने का एलान किया था। इस पर काम शुरू हुआ और विद्वानों की टीम शास्त्र सम्मत प्रसादम बनाने की तैयारी में जुट गई। इसके लिए पुराणों का अध्ययन किया गया, फिर आटे के चावल से प्रसादम बनाने का फैसला हुआ।

भगवान शंकर को लगता है चावल के आटे का भोग

विद्वानों के मुताबिक, धान भारतीय फसल है। इसका जिक्र पुराणों में है। भगवान कृष्ण और सुदामा के संवाद में भी चावल का जिक्र है। भगवान भोले शंकर को चावल के आटे का भोग लगता था। बेल पत्र का महत्व है, इसलिए बाबा विश्वनाथ को चढ़ने वाले बेलपत्र को जुटाया गया, फिर इसे धुलकर साफ कराया गया। सूखने के बाद बेलपत्र का चूर्ण बनाया गया, फिर इसे प्रसादम में मिलाया गया।बाबा विश्वनाथ के प्रसाद को बनाने की जिम्मेदारी अमूल कंपनी को मिली है। कंपनी ने नियमों और शर्तों के मुताबिक , दस दिन का प्रसादम बना दिया है। इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण संस्था से मंजूरी मिल चुकी है।

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