नरेंद्र मोदी ने अरविंद केजरीवाल को कितने वोटों से हराया था?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में पहली बार चुनाव लड़ने के लिए वाराणसी आए थे। नरेंद्र मोदी ने 2014 में आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तीन लाख 72 हजार से अधिक वोटों के विशाल अंतर से हराया था। साल 2019 के चुनाव में उन्होंने जीत का अंतर बढाते हुए चार लाख 59 हजार कर दिया। यह भी पढ़ेंः
मैनपुरी में दौड़ी साइकिल, सीएम योगी के मंत्री को डिंपल यादव ने दो लाख वोटों से हराया, ऐलान बाकी इस बार उनके सामने सपा की शालिनी यादव थीं। यादव अब बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं। साल 2019 और 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस की ओर से अजय राय ही खड़े थे। दोनों ही बार वो तीसरे स्थान पर रहे.एक बार फिर अजय राय नरेंद्र मोदी के सामने चुनाव मैदान में हैं।
ये था साल 2019 का लोकसभा चुनाव परिणाम
वाराणसी में साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी को 674664 वोट मिले थे। जबकि सपा की शालिनी यादव को करीब दो लाख और कांग्रेस के अजय राय को करीब डेढ़ लाख वोट मिले थे। अन्य उम्मीदवारों को करीब 35 हजार वोट मिले थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब 4.80 लाख वोटों के अंतर से जीते थे। इसके अलावा लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने यूपी में 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि लोकसभा चुनाव 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी को 612970 मत प्राप्त हुए। जबकि कांग्रेस के अजय राय को 460457 और बसपा के अतहर जमाल लारी को 33766 मत प्राप्त हुए। पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां 152513 मतों से चुनाव जीत लिया है। जीत का यह अंतर साल 2019 और साल 2014 से कम है। इस तरह बीजेपी का प्रधानमंत्री की जीत के मार्जिन का रिकॉर्ड बनाने का प्लान फेल हो गया है।
यह भी पढ़ेंः
यूपी में फिर मुलायम परिवार पर दिखा जनता का भरोसा, अखिलेश यादव की रणनीति ने बदले चुनावी समीकरण कौन-कौन है वाराणसी के चुनाव मैदान में?
वाराणसी में पीएम मोदी के मुक़ाबले कांग्रेस के अजय राय और बसपा के अतर जमाल लारी खड़े हैं। इसके अलावा अपना दल (के) के गगन प्रकाश यादव और युग तुलसी पार्टी के कोलीशेट्टी शिव कुमार भी वाराणसी से चुनाव मैदान में हैं। दो निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश यादव और संजय कुमार तिवारी भी पीएम मोदी के खिलाफ खड़े हैं।
वाराणसी में बीजेपी के बड़े नेताओं ने किया था प्रचार
भारतीय जनता पार्टी ने वाराणसी के रण में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। इस महत्वपूर्ण लोकसभा सीट के लिए कई दिग्गज भाजपा नेताओं ने बार-बार शहर का दौरा किया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूरी चुनावी प्रक्रिया का संचालन किया था। वहीं, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी वाराणसी में लगातार आ-जा रहे थे। महिला एवं बाल विकास के लिए कैबिनेट मंत्री स्मृति ईरानी भी शहर पहुंची थी।
वाराणसी में कितनी बड़ी है अजय राय की चुनौती?
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति शुरू करने वाले अजय राय बीजेपी और सपा में भी रह चुके हैं। वो चार बार वाराणसी के कोलअसला और एक बार पिंडरा विधानसक्षा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। कोलअसला से वे तीन बार बीजेपी के टिकट और एक बार निर्दलीय और पिंडरा से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। राय इस समय उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। यह भी पढ़ेंः
पूर्वांचल में बाजी मार ले जाएगी सपा? इन लोकसभा सीटों पर फहरा रहा ‘समाजवादी झंडा’ वहीं बसपा के अतहर जमाल लारी ने अपना राजनीतिक करियर जनता पार्टी से शुरू किया था। वो वाराणसी में कई बार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। लारी ने 1984 और 2004 का लोकसभा चुनाव भी वाराणसी से लड़ा था, लेकिन सफलता नहीं मिली। बसपा में आने से पहले वो जनता दल, अपना दल और कौमी एकता दल में रहे। वो मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले हैं। वो वाराणसी में रहकर कपड़े के कारोबार से जुड़े हुए हैं।