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वाराणसी

काशी के इस कुंड में स्नान से मिलती है संतान, पर साल में सिर्फ एक ही दिन मिलता है यह मौका

Lolark kund जिन लोगों के संतान नहीं है, उनकी इच्छा इस कुंड में नहाने से पूरी हो जाती है। जी, काशी के इस कुंड में स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है। लोलार्क षष्ठी मौके पर संतान प्राप्ति की कामना लेकर शुक्रवार को निसंतान दंपत्तियों ने लोलार्क कुंड में जोड़े के साथ स्नान किया।
 
 

वाराणसीSep 02, 2022 / 03:42 pm

Sanjay Kumar Srivastava

काशी के इस कुंड में स्नान से मिलती है संतान, पर साल में सिर्फ एक ही दिन मिलता है यह मौका

काशी के इस कुंड में स्नान से मिलती है संतान, पर साल में सिर्फ एक ही दिन मिलता है यह मौका

जिन लोगों के संतान नहीं है, उनकी इच्छा इस कुंड में नहाने से पूरी हो जाती है। जी, काशी के इस कुंड में स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है। लोलार्क षष्ठी मौके पर संतान प्राप्ति की कामना लेकर शुक्रवार को निसंतान दंपत्तियों ने लोलार्क कुंड में जोड़े के साथ स्नान किया। मान्यता है कि, लोलार्क कुंड में स्नान और लोलार्केश्वर महादेव के दर्शन मात्र से निसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति होती है। जानकार बताते हैं कि, लोलार्क षष्ठी के दिन सूर्य की रोशनी में एक अलग प्रकार का कंपन होता है। इसे लोलन कहते हैं। और यही लोलार्क कुंड या लोलार्केश्वर महादेव की महिमा है। पं. शिवप्रसाद पांडेय इस बारे में बताते हैं कि, सदियों पहले यहां एक बड़ा उल्कापिंड गिरा था, जिससे इस कुंड का निर्माण हुआ। कालांतर में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कुंड का सुंदरीकरण कराया।
ताम्रपत्रों में है उल्लेख

बीएचयू के पुरातत्वविद डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि, यहां स्थित मंदिर का उल्लेख गड़वाल ताम्रपत्रों में है। बावड़ी का मुंह दोहरा है, एक में पानी इकट्ठा होकर दो कुओं में जाता है। कुण्ड के एक ताखे पर भगवान सूर्य का प्रतीक चक्र बना है।
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हर-हर महादेव के घोष से गूंजा

संतान प्राप्ति की कामना के लिए शुक्रवार को देश के कई हिस्सों से लाखों लोगों की भीड़ लोलार्क कुंड में स्नान के लिए पहुंच गई थी। स्नान जैसे ही आरंभ हुआ समूचा लोलार्क कुंड परिक्षेत्र हर-हर महादेव के घोष से गूंज उठा। भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में स्नान के लिए तीन तरफ से कतारें लगी थीं।
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लोलार्क कुंड में नहाने को जुटी भीड़

एक कतार लंका से अस्सी होते हुए भदैनी पहुंच रही थीं तो दूसरी रविंद्रपुरी से शिवाला होते हैं वहीं तीसरी कथा सोनारपुरा होते हुए बोर में गोदौलिया तक पहुंच गई थी। विगत दो वर्षों में स्नान बाधित रहने से इस वर्ष कहीं अधिक भीड़ रही। ऐसी मान्यता है कि, लोलार्क षष्ठी के दिन लोलार्क कुंड में स्नान करने से ही संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है।

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