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जेल परिसर के आउटलेट से कोई भी कैदियों के बने उत्पाद को खरीद सकता है। इस आउटलेट में सारे उत्पाद शुद्ध मिलेंगे। कैदियों द्वारा बनाये गये दरी, चादर, सोफा, बेंच के साथ आचार, मुरब्बा, बेकरी, बिस्कुट, ब्रेड के आइटम समेत दो दर्जन उत्पाद बेचे जा रहे हैं। इसके लिए कैदियों को बकायदा ट्रेनिंग दी गयी है, जिससे गुणवत्ता प्रभावित न हो।
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सेंट्रल जेल में बनायी गयी लॉन्ड्री में एक साथ 50 किलो कपड़े धुलने के लिए सिडबी की सहयोग से मशीन लगायी गयी है। अभी इस लॉन्ड्री का उपयोग कैदियों के कपड़े धोने के लिए किया जायेगा। होटल व अस्पतालों से संस्था वार्ता कर रही है और एक बार वार्ता सफल हो जाने के बाद वहां से निकले कपड़े सेंट्रल जेल की लॉन्ड्री में धुलेंगे। इससे कैदियों को अतिरिक्त आय होगी।
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सेंट्रल जेल परिसर में हथकरघा मशीन भी लगायी गयी है जहां पर कैदियों को बनारसी साड़ी बनाने का मौका मिलेगा। जिन हाथों से कभी किसी का सुहाग उजड़ा होगा। वही हाथ अब किसी सुहागन के लिए बनारसी साड़ी बनायेंगे। इसके लिए कैदियों को हथकरघा चलाने की ट्रेनिंग भी मिलेगी। सेंट्रल जेल प्रशासन की यह पहल बेहद सकारात्मक है। एडीजी जेल चन्द्र प्रकाश ने कहा कि एक बार कैदी अपने हुनर से पैसा कमाने लगेंगे तो उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोडऩा आसान हो जायेगा।
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