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वाराणसी

कभी जिनके हाथों से उजड़ा था सुहाग, अब सुहागन के लिए बनायेंगे साड़ी

जेल के सलाखों में रहते हुए परिवार का उठा सकेंगे खर्च, कैदियों को एक साथ मिली तीन सौगात

वाराणसीJun 08, 2019 / 04:27 pm

Devesh Singh

Banarsi sari

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वाराणसी. कभी जिनके हाथों से किसी का सुहाग उजड़ा था वही हाथ अब किसी सुहागन के लिए बनारसी साड़ी बनायेंगे। जो कैदी परिवार वालों का आर्थिक सहयोग करने में अक्षम होते थे वही अब जेल की काल कोठरी से परिवार का खर्च उठाने में सक्षम होंगे। शनिवार को सेंट्रल जेल के कैदियों को एक साथ तीन सौगात मिली है। एडीजी जेल चन्द्र प्रकाश ने नयी सुविधा का उद्घाटन किया।
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Prisoner Outlet
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एडीजी जेल चन्द्र प्रकाश ने सेट्रल जेल में कैदियों के बनाये गये उत्पात को बेचने वाले आउटलेट, व्यवसायिक उपयोग वाली लॉन्ड्री व बनारस साड़ी बनाने वाले हथकरघा मशीन का उद्घाटन किया है। एडीजी जेल ने कहा कि कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह सारी सुविधा शुरू की गयी है। शुरूआत में कैदी चार से पांच हजा रुपये कमा लेंगे। इसके बाद और अच्छा काम करते हैं तो उन्हें और अधिक पैसे मिलेंगे। एडीजी जेल ने कहा कि काम सिखाने के लिए कैदियों को ट्रेनिंग भी दी जायेगी। जैन समाज के सहयोग से हथकरघा व एक अन्य संस्था की मदद से लॉन्ड्री लगायी गयी है। आउटलेट बनाने में ढाई लाख, लॉन्ड्री की मशीन में साढ़ आठ लाख की लागत आयी है। उन्होंने कहा कि कैदियों की रिहाई के लिए स्थायी नीति बनायी है और देश में पहली बार 26 जनवरी को 1500 से अधिक कैदियों को रिहा किया गया है।
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आउटलेट में बिकेंगे कैदियों के बनाये शुद्ध उत्पात
जेल परिसर के आउटलेट से कोई भी कैदियों के बने उत्पाद को खरीद सकता है। इस आउटलेट में सारे उत्पाद शुद्ध मिलेंगे। कैदियों द्वारा बनाये गये दरी, चादर, सोफा, बेंच के साथ आचार, मुरब्बा, बेकरी, बिस्कुट, ब्रेड के आइटम समेत दो दर्जन उत्पाद बेचे जा रहे हैं। इसके लिए कैदियों को बकायदा ट्रेनिंग दी गयी है, जिससे गुणवत्ता प्रभावित न हो।
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लॉन्ड्री में एक साथ धुलेंगे 50 किलो कपड़े
सेंट्रल जेल में बनायी गयी लॉन्ड्री में एक साथ 50 किलो कपड़े धुलने के लिए सिडबी की सहयोग से मशीन लगायी गयी है। अभी इस लॉन्ड्री का उपयोग कैदियों के कपड़े धोने के लिए किया जायेगा। होटल व अस्पतालों से संस्था वार्ता कर रही है और एक बार वार्ता सफल हो जाने के बाद वहां से निकले कपड़े सेंट्रल जेल की लॉन्ड्री में धुलेंगे। इससे कैदियों को अतिरिक्त आय होगी।
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सुहागन पहनेंगे कैदियों की बनायी बनारसी साड़ी
सेंट्रल जेल परिसर में हथकरघा मशीन भी लगायी गयी है जहां पर कैदियों को बनारसी साड़ी बनाने का मौका मिलेगा। जिन हाथों से कभी किसी का सुहाग उजड़ा होगा। वही हाथ अब किसी सुहागन के लिए बनारसी साड़ी बनायेंगे। इसके लिए कैदियों को हथकरघा चलाने की ट्रेनिंग भी मिलेगी। सेंट्रल जेल प्रशासन की यह पहल बेहद सकारात्मक है। एडीजी जेल चन्द्र प्रकाश ने कहा कि एक बार कैदी अपने हुनर से पैसा कमाने लगेंगे तो उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोडऩा आसान हो जायेगा।
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