यूपी में राजनाथ सिंह की सरकार जाने के बाद बीजेपी के सितारे गर्दिश में आ गये थे। प्रदेश में बीजेपी की स्थिति खराब होती गयी थी। मायावती व मुलायम सिंह यादव के बाद अखिलेश यादव भी यूपी की सत्ता में पहुंच गये थे लेकिन बीजेपी प्रदेश में प्रमुख विरोधी दल भी नहीं बन पायी थी। लोकसभा चुनाव 2014 के समय प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी थी उस समय गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी को बनारस संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया गया था और यूपी का प्रभारी अमित शाह को सौपा गया था। यही से बीजेपी की किस्मत पटली थी। पहली बार बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2014 में सहयोगी दल के साथ 80 में से 73 सीट पर कब्जा किया था चुनाव के बाद केन्द्र की सत्ता में आयी बीजेपी ने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा जातीय कार्ड खेला था। फूलपुर के सांसद केशव प्रसाद मौर्या को प्रदेश अध्यक्ष बना कर पिछड़े वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी की थी। केशव प्रसाद मौर्या के कार्यकाल में बीजेपी ने अपना पुराना सारा रिकॉर्ड तोड़ते हुए पहली बार 300 से अधिक सीटों पर चुनाव जीता था इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या को यूपी का डिप्टी सीएम बना कर इनाम दिया गया था। यूपी का सीएम जब योगी आदित्यनाथ को बनाया गया था उस समय बीजेपी से ब्राह्मण वोटरों के खिसकने का डर पैदा हो गया था सत्ता में जातीय संतुलन साधने के लिए बीजेपी ने चंदौली सांसद डा.महेन्द्र नाथ पांडेय को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी थी उसके बाद लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी अपना पुराना प्रदर्शन नहीं दोहरा पायी और 9 सीटों का नुकसान उठाते हुए 64 सीटों पर दर्ज की गयी। यूपी में अखिलेश यादव व मायावती के महागठबंधन व प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी का प्रभारी बनाने के बाद भी बीजेपी की इस जीत को बड़ी माना गया। प्रदेश अध्यक्ष डा.महेन्द्र नाथ पांडेय को इसका इनाम मिला और कैबिनेट मंत्री पद मिल गया। बड़ा सवाल उठता है कि अब बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा।
यह भी पढ़े:-रणबीर कपूर ने कहा कि बनारस में साफ हो गयी है गंगा यूपी चुनाव 2022 को देखते हुए पार्टी फिर साधेगी जातीय समीकरणनये प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कई नाम की चर्चा हो रही है। मनोज सिन्हा, स्वतंत्र देव सिंह आदि नामों की अटकले लग रही है। बीजेपी सूत्रों की माने तो इस बार भी पार्टी कोई चौकाने वाले नाम को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। बीजेपी जानती है कि विकास के साथ उसे जातीय समीकरण को साधना होगा। ऐसा करके ही यूपी चुनाव 2022 में सत्ता में वापसी की जा सकती है। ब्राह्मण, पिछड़े व दलित किसी एक वर्ग से नया अध्यक्ष बन सकता है। बीजेपी के चाणक्य माने जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह किसी चेहरे पर दांव लगाते हैं इस पर सभी की निगाहे लगी हुई है।
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