मनोज ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि वह सिद्धार्थ नगर का निवासी है, बस्ती से ही उसने इंटर तक की पढाई की फिर हॉयर एजुकेशन के लिए बनारस आए और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में बीए ऑनर्स में दाखिला लिया। मनोज ने भूगोल ऑनर्स के साथ राजनीति विज्ञान और इतिहास विषय के साथ बीए किया। 2007 से 2010 तक वह बीएचयू के छात्र रहे।
मनोज बताते हैं कि बीए करते समय ही छात्रावास में सीनियर्स से सिविल सर्विसेज में जाने की प्रेरणा मिली और जुट गया तैयारी में। बताया कि इस बीच पीसीएस की तैयारी भी जारी रखी और बीए के बाद बीएड भी कर लिया।
उन्होंने बताया कि उन्होंने पांच बार पीसीसीएस की परीक्षा दी। पहली दो बार तो प्री तक ही रह गया। उसके बाद तीन बार मुख्य परीक्षा पास की पर तीनों ही बार साक्षात्कार में छंट गया। पांच बार में भी कंपीट न कर पाने से थोड़ तनाव बढ़ा। इसी दरम्यान पिता जो खुद इंटर कॉलेज में शिक्षक थे के कहने पर बीएड किया और प्राथमिक विद्यालय में नौकरी भी मिल गई। बस पढाने लगा लेकिन मन में तो सिविल सर्विस में जाने की बात बनी ही रही। सो 2017 में एक बार फिर से ट्राई किया और अबकी बार साक्षात्कार में भी सफल रहा।
मुकेश ने बताया कि इस सफलता का श्रेय मेरे सीनियर्स को जाता है जिन्होंने कदम-कदम पर मेरा मार्गदर्शन किया। साथ ही मेरे शिक्षक पिता जो हमेशा ही मेरा मनोबल बढ़ाते रहे। पिताजी अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे में डीपीआरओ के लिए चुना जाना पूरे परिवार के लिए गौरव की बात है। मेरे अलावा और कोई अर्निंग मेंबर नहीं है। बताया कि सफलता की सूचना पाते ही पिता और मेरी मां अकालपति चौधरी का खुशी के माने ठिकाना नहीं रहा।
मनोज ने दी ये टिप्स पांच बार के बाद पीसीएस क्वालीफाई करने वाले मुकेश का कहना है कि पीसीएस की तैयारी करने के लिए दिन-रात किताबों में डूबे रहना जरूरी नहीं है। इसके लिए सबसे पहले खुद यह तय करना होगा कि आप करना क्या चाहते हैं, क्या बनना चाहते हैं। फिर जिसकी तैयारी करनी है उसका पाठ्यक्रम (सेलेबस) देखना होगा और उसके अनुसार करनी होगी तैयारी। साथ ही न्यूज पेपर और पत्र-पत्रिकाओं को लगातार देखते रहने से सामान्य ज्ञान ठीक होता है वह जरूरी है। बताया कि कंपटीशन की तैयारी करने वाले को यह तय करना होगा कि किसी बात से घबराएं नहीं, मार्ग से भटकें नहीं। खुद को थेड़ा एक्सटोवर्ट (बहिर्मुखी) बनाना भी जरूरी है।