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आयुष ने स्कूल में महात्मा गांधी पर व्याख्यान दिया था कहा था कि जब अंग्रेजों ने गांधी जी को आधी रात को ट्रेन से फेक दिया था इसके बाद गांधी ने उस जख्म के सहलाया नहीं कुरेदा। उनके अंदर एक हथियार उत्पन्न हो पाया। जिसे सिविल नाफरमानी कहा। जालिम की बात नहीं मानना ही सिविल नाफरमानी था। इसी के साथ इतिहास की शुरूआत होती है। अंग्रेजों को पता होता कि जिसको उन्होंने ट्रेन से बाहर किया है वही व्यक्ति उन्हें ग्लोब से बाहर फेक देगा। तो ऐसी गलती नहीं करता। बहुत बिड़बना है कि गांधी के देश के लोगों ने ही गांधी को सबसे कम पढ़ा और समझा। हैरी पार्टर और चेतन भगत को दिन-रात भोर व दुपहरी एक करके पढऩे वाले युवा पीढ़ी तबयत के साथ गांधी को पढ़ लेती तो आज पीढिय़ों का सबक कुछ और होता। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। इसलिए तमाम फैशन व फेसबुकिया ज्ञान हमारे पास है जैसे बंटवारे का कारण गांधी का मानना और गांधी जी को मुस्लिम परस्त कह देना। मैं यह कह देना चाहता हूं कि गांधी से बड़ा कोई हिन्दू नहीं था लेकिन गांधी के हे राम से बाकी कौमे डरती नहीं थी।
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