बता दें कि मंदिर परिसर के सामने कैलाश मंदिर क्षतिग्रस्त किये जाने की अफवाह के बाद मंदिर प्रशासन ने महंत परिवार से नाराजगी जाहिर की थी। साथ ही नोटिस जारी कर इनसे जवाब मांगा गया था। जवाब न मिलने पर सात मई को सप्तर्षि आरती पर रोक लगाते हुए प्रशासन ने अपने द्वारा नियुक्त अर्चकों से सप्तर्षि आरती शुरू करा दिया। इधर, सप्तर्षि आरती के अर्चकों को मंदिर प्रशासन ने प्रवेश करने से रोक दिया था। विरोधस्वरूप अर्चकों ने गेट नंबर चार पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर बाबा विश्वनाथ की सप्तर्षि आरती की। इसके बाद मंदिर प्रशासन ने महंत परिवार को नोटिस जारी कर कर ऐसा करने पर जवाब मांगा। वहीं महंत परिवार मन्दिर की तीन सौ पचास साल पुरानी परंपरा तोड़ने का आरोप लगाकर प्रशासन के खिलाफ बड़ा महुआ बना दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में मामला आने के बाद उनके निर्देश पर मंत्री रविंद्र जायसवाल ने मंदिर का दौरा किया और प्रशासन को क्लीनचिट दी। महंत गुट के लोगों की मानें तो प्रधानमंत्री मोदी को भी इसकी जानकारी दे दी गई। इधर, काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो. रामयत्न शुक्ल, केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष सतीश चंद्र मिश्रा, पद्मश्री महामहोपाध्याय भागीरथ प्रसाद आदि ने भी सोशल मीडिया पर भी प्रशासन को परम्परा तोड़ने वाला बताया।
जिसके बाद वक्त को भांपते हुए बनारस के कमिश्नर दीपक अग्रवाल औऱ डीएम कौशल रहज शर्मा ने पुरानी व्यवस्था को बहाल करने की अनुमति दे दी। उधर महंत परिवार ने नोटिस का जवाब दे दिया है। इसी के साथ इस मामले का पटाक्षेप कर दिया गया है।