नवरात्रि के सप्तमी को मां के दर्शन का विधान है। मंगलवार और शुक्रवार को इस मंदिर में काफी भीड़ देखने को मिलती है। वाराही देवी का यह मंदिर दर्शनार्थियों के लिए केवल सुबह ही खुला रहता है। मंदिर प्रात: काल साढ़े 4 बजे से सुबह 9 बजे तक ही खुला रहता है।
मान्यता है कि जो भी यहां अपनी मुरादें लेकर आता है, मां झट से उसे पूरी कर देती हैं। यहां पूरे साल भक्तों की भारी भीड़ रहती है। जो यहां आकर सच्चे दिल से मां का दर्शन करता है मां उसकी झोली खुशियों से भर देती हैं।
वाराही देवी को मंदिर खुलते ही 25 मिनट तक स्नान कराया जाता है। फिर 5 बजे आरती शुरू होती है। मान्यता है कि माता को शास्त्रीय संगीत बहुत पसंद है इसलिए इनकी आरती शास्त्रीय संगीत के साथ ही होती है। इनकी आरती करीब डेढ़ घंटे तक होती है।
वाराही देवी का मंदिर कैंट स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए ऑटो से गोदौलिया चौराहे पर पहुंचकर वहां से पैदल दशाश्वमेध घाट होते हुए मानमंदिर घाट की सीढियों के ऊपर चढ़ने पर कुछ मीटर की दूर पर गलियों के बीच में मां वाराही देवी का दिव्य मंदिर स्थित है। इनके मंदिर के पास ही द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक सोमनाथ के प्रतिरूप सोमेश्वर महादेव का भी मंदिर स्थित है।