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वाराणसी

भोजपुरिया माटी में रचे बसे साहित्यकार विवेकी राय नहीं रहे

ललित निबंध में थी महारथ, कई सम्मानों से नवाजा जा चुका था। 

वाराणसीNov 22, 2016 / 12:16 pm

Ajay Chaturvedi

Viveki  Rai

Viveki Rai

वाराणसी. भोजपुरी माटी में रचे बसे महान साहित्यकार विवेकी राय नहीं रहे। मंगलवार की सुबह 92 वर्ष की अवस्था में वह चिर निद्रा में लीन हो गए। भरौली, बलिया ग्राम निवासी विवेकी राय ने 50 से अधिक पुस्तकों की रचना की। ललित निबंध में उन्हें महारथ हासिल थी। हालांकि कथा साहित्य के भी वह मर्मज्ञ माने जाते रहे। सबसे खासियत यह कि उनकी रचनाओं में ग्रामीण परिवेश का अनुपम समावेश होता था। 



ललित निबंध विधा में इनकी गिनती आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, विद्यानिवास मिश्र और कुबेरनाथ राय की परंपरा में की जाती है। मनबोध मास्टर की डायरी और फिर बैतलवा डाल पर इनके सबसे चर्चित निबंध संकलन हैं। स्व. राय को 2001 में महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार और 2006 में यश भारती सम्मान से सम्मानित किया गया था। 




विवेकी राय की प्रोफाइल

जन्म-19 नवंबर 1924, भरौली, बलिया (उत्तर प्रदेश)

विधाएं- उपन्यास, कविता, कहानी, निबंध, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी, समीक्षा

उपन्यास– बबूल, पुरुष पुराण, लोक ऋण, बनगंगी मुक्त है, श्वेत पत्र, सोनामाटी, समर शेष है, मंगल भवन, नमामि ग्रामम्, अमंगल हारी, देहरी के पार आदि।

कविता संग्रह– अर्गला, राजनीगंधा, गायत्री, दीक्षा, लौटकर देखना आदि।


कहानी संग्रह- जीवन परिधि, नई कोयल, गूंगा जहाज बेटे की बिक्री, कालातीत, चित्रकूट के घाट पर

प्रमुख रचनाएं– मनबोध मास्टर की डायरी, गंवाई गंध गुलाब, फिर बैतलवा डाल पर, आस्था और चिंतन, जुलूस रुका है, उठ जाग मुसाफ़िर।


पुरस्कार-प्रेमचंद पुरस्कार, साहित्य भूषण पुरस्कार, आचार्य शिवपूजन सहाय सम्मान, शरदचंद जोशी सम्मान, पंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान।



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