काशी के लल्लापुरा में रहने वाले गयासुदीन का कहना है कि 250 साल पहले उनके परदादा ने पहली बार बाबा विश्नाथ के ससुराल जाने के लिए उनकी पगड़ी बनाई थी। इसके बाद उनके दादा, पिता और वो भी इस परंपरा को बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस समय वो अकबरी पगड़ी बनाने में जुटे हैं।
पगड़ी तैयार करने के लिए नहीं लेते कोई पैसा
गयासुदीन का कहना है कि इस पगड़ी को तैयार करने में उनको करीब एक हफ्ते का वक्त लगता है। इतना वक्त लगने की वजह ये है कि वो इसमें जरी की खास किस्म की कढ़ाई कर रहे हैं। पगड़ी में कई तरह के मोती और धागे इस्तेमाल हो रहे हैं।
इस साल रंगभरी एकादशी 3 मार्च को मनाई जाएगी। इस दिन बाबा विश्वनाथ पालकी पर सवार होकर मां गौरा का गौना कराने ससुराल जाएंगे। बाबा विश्वनाथ के साथ माता पार्वती के गौने की रस्म के साथ ही वाराणसी में होली की शुरुआत भी मानी जाती है।
विधानसभा में शिवपाल यादव बोले- डिप्टी CM पाठक हमारे रिश्तेदार, स्पीकर ने पूछा- रिश्तेदारी बताओ
ऐसी धार्मिक मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर उनको गुलाल लगाना पति-पत्नी के जीवन में सुख लाता है। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन की परेशानियां कम हो जाती हैं।