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राजा भैया की छवि क्षत्रिय बाहुबली नेता की है जबकि राजकुमारी रत्ना सिंह की छवि एक सामान्य महिला के रुप में है। दोनों ही नेता राजघराने से जुड़े हैं जिनकी जनता में अपनी-अपनी छवि है।
2-प्रतापगढ़ में बीजेपी के पास दिग्गज नेता नहीं होना
प्रतापगढ़ में बीजेपी के पास कोई ऐसा दिग्गज नेता नहीं है, जो क्षेत्र में पार्टी को बड़ी पहचान दे सके। प्रतापगढ़ के क्षेत्र में अखिलेश यादव, मायावती व राजा भैया के बाद रत्ना सिंह की बड़ी पहचान है जिनका बीजेपी से जुडऩा पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है।
बीजेपी ने जब से सीएम योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया है तब से क्षत्रिय समाज तेजी से बीजेपी से जुड़ता जा रहा है। राजकुमारी रत्ना सिंह का बीजेपी में जाना इसी कड़ी के रुप में देखा जा रहा है। बीजेपी को जरूरत पर राजा भैया का साथ मिल सकता है और राजकुमारी रत्ना सिंह के आने से क्षत्रिय समाज को संदेश भी चला गया है।
4-पूर्वांचल से कांग्रेस को कमजोर करना
राहुल गांधी व प्रियंका गांधी लगातार कांग्रेस को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। प्रियंका गांधी तो लगातार यूपी में डेरा डाली हुई है। बीजेपी यह बात जानती है कि यदि अभी कांग्रेस को और कमजोर नहीं किया गया तो वर्ष 2022 में चुनौती मिल सकती है इसलिए बीजेपी के निशाने पर वह बड़े कांग्रेस नेता है जो पार्टी से असंतुष्ट है और उन्हें बीजेपी में लाकर कांग्रेस को कमजोर किया जा सकता है। राजा भैया की अपनी पार्टी है इसलिए बीजेपी ने राजकुमारी रत्ना सिंह पर दांव खेला है।
5-आधी आबादी में ताकत बढ़ाने की कवायद
पीएम नरेन्द्र मोदी को संसदीय चुनाव 2019 मे प्रचंड बहुमत मिला है जिसमे आधी आबादी ने सबसे अधिक साथ दिया था। बीजेपी यह बात जानती है इसलिए वह आधी आबादी पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए दमदार महिला नेताओं को पार्टी में शामिल कर रही है। इस समीकरण में भी रत्ना सिंह फिट बैठती है।
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