वाराणसी

यूपी के बंटवारे ने फिर पकड़ा जोर, पूर्वांचल राज्य बना तो शिक्षा, रोजगार और किसानों की तरक्की का खुलेगा रास्ता

पूर्वांचल को अलग राज्य बनाये जाने की मांग को लेकर कई दलों ने अपनी रोटियां भी सेंकी

वाराणसीSep 11, 2018 / 06:47 pm

Ashish Shukla

यूपी के बंटवारे ने फिर पकड़ा जोर, पूर्वांचल राज्य बना तो शिक्षा, रोजगार और किसानों की तरक्की का खुलेगा रास्ता

वाराणसी. आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के यूपी के बंटवारे को लेकर दिये बयान के बाद अब सूबे में हलचल तेज हो गई है। देश की सबसे बड़ी आबादी और रसूख वाले राज्य को आज तक पिछड़ेपन से क्यों नहीं उबारा जा सका इस बात को लेकर यहां की जनता हमेशा चिंतित रहती है। हालांकि पूर्वांचल को अलग राज्य बनाये जाने की मांग को लेकर कई दलों ने अपनी रोटियां भी सेंकी। सपने भी दिखाये लेकिन वो हर बार ठगा जाता है। अब एक बार फिर दिल्ली के मुखिया ने बंटवारे की आवाज बुलंद कर नये चर्चा को जन्म दे दिया है।
पूर्वांचल की अपनी खास पहचान

खेती किसानी, शिक्षा, धर्म संस्कृति और खनिज संपदाओं से भरपूर पूर्वांचल विकास की दौर में बहुत पीछे छूट गया है | पूर्वांचल प्रदेश के सबसे पिछड़े क्षेत्र में से एक है| प्रदेश का ये हिस्सा कला, संस्कृति और वैभवशाली इतिहास को धारण किये हुए है इसके बावजूद भी यहां के नागरिक बुनियादी सुविधाओं की कमी, उचित ग्रामीण शिक्षा और रोजगार, कानून व्य़वस्था की बिगड़ी हालत समेत तमाम समस्याओं से रोज जूझते हैं। इसके बाद भी पूर्वांचल को हमेशा नजरअंदाज किया गया। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म की उत्पत्ति पूर्वांचल की ही देन मानी जाती है। शिक्षाविद मनोज मिश्रा कहते हैं कि बढ़ती आबादी को देखते हुए अब यूपी का बंटवारा हो जाना चाहिए ताकि समुचित तरीके से प्रदेश का विकास हो सके।
पूर्वांचल के जिले

पूर्वांचल अगर राज्य बना तो वह एक समृद्द राज्य होगा। इसके हिस्से में आने वाले जिले प्राय: -वाराणसी, गाजीपुर, चंदौली, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गोरखपुर, कुशीनगर देवरिया, बस्ती, संतकबीर नगर, सिद्दार्थनगर, महराजगंज, इलाहाबाद, कौशांबी, प्रतापगढ़ जिले शामिल हैं।
औद्योगिक स्वर्ग है पूर्वांचल

सोनभद्र की पहाड़ियों में चूना पत्थर तथा कोयला मिलने व देश की सबसे बड़ी सीमेन्ट फैक्ट्रियां, बिजली घर (थर्मल तथा हाइड्रो), एलुमिनियम एवं रासायनिक इकाइयां स्थित हैं। साथ ही कई सारी सहायक इकाइयां एवं असंगठित उत्पादन केन्द्र, विशेष रूप से स्टोन क्रशर इकाइयां, भी स्थापित हुई हैं। जिससे इस इलाके को औद्योगिक स्वर्ग कहा जाता है। इसके साथ ही भहोही का कालीन कारोबार, बनारस की साडियां, मऊ, आजमगढ़ में बुनकरों की कारीगरी, जौनपुर का इत्र, मिर्जापुर का पीतल कारोबार आदि इस इलाके को औद्योगिक रूप से संपन्न बनाते हैं। कारोबारी एजाज अहमद कहते हैं कि इस इलाके को अलग किया जाये तो पूर्वांचल तरक्की की नई ईबारत लिखेगा।
पहले भी उठती रही मांग

पूर्वांचल राज्य को लेकर 2017 से चुनाव से पहले सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर इस दल के नेता तक लगातार इसे अलग करने की मांग करते रहे हैं। इसके लिए इस दल के लोग कई बार सड़कों पर उतरे। इसके पहले मायावती के शासनकाल में बसपा के नेता लगातार पूर्वांचल को अलग करने को लेकर चर्चाओं को हवा देते रहे थे। साथ ही कई छोटे संगठन पूर्वांचल को अलग करने के लिए सालों से लगातार मांग और अनशन व प्रदर्शन कर रहे हैं।
आस-पास के सभी जिलों का होगा विकास

पूर्वांचल राज्य जन आंदोलन सस्था भी पूर्वांचल को अलग करने के लिए लगातार आंदोलन करती रही है। संस्था से जुड़ी आरती राय कहती हैं कि पूर्वांचल राज्य बनने से आसपास के सभी जिलों का विकास होगा। यही नहीं मुख्यमंत्री भी अलग होगा और वो बनारस में बैठेगा जिससे आप पास के जिलों के विकास करना और उन विकास कार्यो पर सीधे नजर रखना भी आसान होगा।
पूर्वांचल राज्य समय की जरूरत

बीएचयू में समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर आरएन त्रिपाठी कहते हैं कि पूर्वांचल राज्य बनना वक्त की जरूरत है। इसे बनने में जितनी देरी होगी राज्य उतना पीछे होगा। प्रदेश अब बोझ हो रहा है। न जनता के वादे पूरे हो पाते हैं और नहीं विकास का गति मिल पा रही है। इसलिए बंटवारे की चर्चा का स्वागत होना चाहिए।
बनारस को पूर्वांचल की राजधानी बनाने की भी उठती रही मांग

जानकारों की मानें तो अगर प्रदेश का बंटवारा हुआ तो बनारस को पूर्वांचल की राजधानी बनायी जायेगी। इतिहासकार ओम प्रकाश सिंह बताते हैं कि देश ही नहीं दुनियां में बनारस का अपना महत्व है। बगल में हाईकोर्ट इलाहाबाद है। पूरी दुनियां से पर्यटक भी यहां आते हैं। काशी का अपना विशेष स्थान है। प्रदेश में आवागामन के लिए समुचित साधन यहां है। अगर इसे राजधानी बनाई गई तो तरक्की का रास्ता भी खुलेगा।
 

 

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