वाराणसी में करणी सेना की ओर से तिरंगा यात्रा निकाली गई थी। करणी सेना के जिलाध्यक्ष आलोक सिंह का दावा है कि उन्होंने भोजूबीर से सिगरा के भारत माता मंदिर तक तिरंगा यात्रा की अनुमति के लिये कैंट थाने पर आवेदन दिया था। उसमें इस बात का जिक्र भी किया गया था कि रास्ते में पड़ने वाली महापुरुषों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण भी किया जाएगा। उन्हें 14अगस्त की रात में पुलिस द्वारा बता दिया गया कि तिरंगा यात्रा नहीं निकाल सकते। हालांकि यह कहा गया कि पांच-पांच लोग जा सकते हैं।
करणी सेना का आरोप है कि रविवार को उनके एक ग्रुप के साथ मकबूल आलम रोड पर पुलिस ने अभद्रता की। इसकी शिकायत करने जब वह लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय कार्यालय जवाहर नगर पहुंचे तो वहां भी उनके साथ अभद्रता की गई। हालांकि एडीसीपी काशी विकास चंद्र त्रिपाठी ने किसी तरह की अभद्रता से साफ इनकार करते हुए दो टूक कहा कि बिना अनुमति के पब्लिक प्लेस में कोई आयोजन नहीं हो सकता।
उधर बलिया में भी युवा नेता विवेकानंद सिंह उर्फ बबलू के नेतृत्व में युवाओं का एक ग्रुप चितबड़ागांव से तिरंगा यात्रा लेकर गड़वार क्षेत्र के रतसड़ गांव जा रहा था। इसी दौरान पुलिस ने फेफना चौराहे पर यात्रा रोक दी, जिसके बाद यात्रा निकाल रहे युवाओं ने हंगामा कर दिया। हालांकि पुलिस उनसे कड़ाई से पेश आई और आगे नहीं जाने दिया। पुलिस का कहना था कि यात्रा निकालने की अनुमति नहीं है। काफी देर हंगामे और नोंकझोंक के बाद आखिरकार युवा यात्रा वहीं स्थगित कर वापस चले गए। विवेकानंद सिंह ने कहा कि नौजवानों को बलिया पुलिस अंग्रेजी हुकूमत की पुलिस की तरह पेश आई। आजादी का पर्व मनाने वाले युवाओं को रोका।