गर्व की हो रही अनुभूति प्रधानमंत्री ने चार तस्वीरें अपने एक्स अकाउंट पर साझा करते हुए लिखा है कि ‘काशी में लक्खा मेला के तहत होने वाला भरत मिलाप भारत की सनातन संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। पिछली करीब पांच सदियों से चली आ रही इस प्रस्तुति ने एक बार फिर प्रभु श्री राम के भक्तों को भावविभोर कर दिया। काशी के सांसद होने के नाते मुझे इस परंपरा को लेकर विशेष गर्व की अनुभूति हो रही है।’
चित्रकूट रामलीला समिति करवाती है भरत मिलाप तुलसीदास के समकक्ष मेघा भगत द्वारा 480 साल पहले शुरू हुआ यह भरत मिलाप काशी ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। लाखों लोग यहां 14 वर्ष के वनवास के बाद चारों भाइयों का मिलान देखने के लिए आते हैं। ठीक 4 बजकर 40 मिनट पर अस्ताचलगामी सूर्य की किरणे भरतमिलाप के चबूतरे पर पड़ी तो राम और लक्ष्मण 14 वर्षों से इंतजार कर रहे भरत और शत्रुघ्न की तरफ दौड़ पड़े और उन्हें उठाकर गले से लगा लिया। जिसके बाद पूरा परिसर सियावर राम चंद्र की जय के नारों से गूंज उठा और इसी के बाद काशी नरेश की राजशाही सवारी मेला स्थल से प्रस्थान की।