31 साल पुराने मामले में 31 पन्नो की बहस अवधेश राय हत्याकांड मामले में सोमवार को बचाव पक्ष के अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने 31 साल पुराने मामले में 31 पन्नों की बहस लिखित जमा की। इस बहस को विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए अवनीश गौतम ने बारीकी से पढ़ा और अगली तारीख मुकर्रर कर दी।
5 जून की दी तारीख आज कोर्ट में हुई कार्रवाई के बाद स्पेशल जज एमपी/एमएलए कोर्ट अवनीश गौतम ने इस मामले में फैसले की तारीख 5 जून मुकर्रर की है। इस फैसले के बाद लोगों की धड़कने बढ़ गईं हैं।
गोलियों से छलनी हुए थे अवधेश 3 अगस्त 1991 को सुबह अवधेश राय अपने छोटे भाई अजय राय के साथ घर के दरवाजे पर बारिश का लुत्फ ले रहे थे। उसी दौरान एक मारूति वैन वहां आकर रुकी और उसमे निकले कुछ लोगों ने अवधेश को लक्ष्य कर फायर झोक दिया। अवधेश वहीं लहूलुहान होकर गिर गए। अजय राय ने शोर मचाया पर चंद कदम की दूरी पर स्थित चेतगंज थाने से भी कोई नहीं निकला। अवधेश को कबीरचौरा ले जाया गया जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस मुकदमें में मुख्तार अंसारी सहित अन्य लोगों के विरुद्ध नामजद मुकदमा दर्ज किया गया था।