प्रियंका गांधी अभी तक रायबरेली व अमेठी में चुनाव तक ही सीमित थी। पार्टी की कमान सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी के पास थी। देश भर में कांग्रेस अभी तक राहुल गांधी के सहारे थी लेकिन पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की चुनौती के साथ अखिलेश यादव व मायावती के गठबंधन से लडऩे के लिए राहुल गांधी को किसी विश्वस्त सहारे की जरूरत थी इसलिए गांधी परिवार ने प्रियंका गांधी की राजनीति में इंट्री कराने के साथ ही पूर्वी यूपी की कमान सौंपी है। कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के सहारे यूपी में लोकसभा चुनाव 2019 के साथ यूपी चुनाव 2022 साधने की कवायद की है। यूपी चुनाव तो अभी बहुत दूर है लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 का परिणाम 23 मई को आयेगा। ऐसे में पता चलेगा कि प्रियंका गांधी की इंट्री से कांग्रेस को कितना फायदा हुआ है। यूपी की बात की जाये तो कांग्रेस के पास दो ही सीट है ऐसे में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है जबकि पाने के लिए पूरा आसमान मचा है। चुनाव परिणाम यह तय करेगा कि कांग्रेस में प्रियंका गांधी के आगमन से लाभ हुआ या नहीं।
यह भी पढ़े:-CCTV से हुआ खुलासा, कैसे भागा पेशी पर आया बंदी तय हो गयी जवाबदेही, मिलना चाहिए परिणामकांग्रेस ने प्रियंका गांधी की जवाबदेही तय कर दी है इसलिए अब परिणाम की बात होगी। जिम्मेदारी मिलते ही प्रियंका गांधी राजनीति में सक्रिय हो गयी है और पूर्वांचल में रोड शो व चुनावी रैली करके अपनी पार्टी में जान फूंकने में लगी हुई है। बनारस से चुनाव लडऩे की इच्छा जता कर प्रियंका गांधी ने बीजेपी की परेशानी बढ़ायी थी लेकिन अब कांग्रेस को प्रियंका गांधी के सहारे जमीन पर ताकत दिखा कर बीजेपी को बैकफुट पर लाना होगा। तभी साबित होगा कि प्रियंका गांधी का मैजिक लोगों के सिर चढ़ कर बोला है। यदि ऐसा नहीं होता है तो प्रियंका गांधी का राजनीतिक आगाज फ्लाप माना जायेगा। इसके लिए यूपी चुनाव 2022 तक इंतजार करने की जरूरत नहीं होगी।
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