हरे बांस से धारकारा समाज बनाता है सूप
सड़क किनारे झुग्गी-झोपडी में रहने वाले धारकारा समाज के लोग इन दिनों काम में व्यस्त हैं क्योंकि साल में एक बार छठ महापर्व पर इनका काम बढ़ जाता है एयर इनके हाथों का बना सूप और डाला बाजारों की रौनक तो बढ़ाता ही है बल्कि व्रती महिलाओं की प्रार्थना का साधन बनता है। ऐसे में हुकुलगंज में सड़क किनारे झुग्गी में रह रहे धरकारों के हाथ तेजी से सूप और डाला तैयार कर रहे हैं। सूप बना रहे राजू कुमार ने बताया कि हम लोग रोजाना 60 से 70 पीस सूप बेच रहे यहीं। सूप 50 रुपए से लेकर 150 रुपए तक का है। वहीं डाला 100 रुपए से लेकर 200 रुपए तक है।
इस वर्ष सुन लें छठी मईया हमारी भी अरदास राजू ने बताया कि 200 रुपए का बांस लाकर बांस का सामान बनाया जाता है। छठ में हमारा काम बढ़ जाता है पर छठी मईया से यही प्रार्थना है कि वो हमारी भी अर्जी सुन लें। वहीं मार्केट में बांस का सूप और डाला बेच रहे विनय पटेल ने बताया कि छठ को लेकर डाला और सूप की दूकान लगाई है। सूप 70 रुपए से लेकर 200 रुपए तक का है। वहीं डाला छोटे-बड़े के हिसाब से बिक रहा है। विनय ने बताया की छठ पर इस वर्ष महंगाई का असर देखने को है मिला पर ग्राहक कम हैं बाजार में, जबकि रेट पिछले साल की तरह ही है।
बांस से बंश है, इसलिए जरूरी है बांस का सूप वहीं बिहार की रहने वाली राम कुमारी ने पिछले 40 सालों से व्रत रख रहीं हैं। उन्होंने बताया कि छठी मईया की पूजा के लिए बांस लेना जरूरी है। ऐसे में बांस का सूप बहुत महत्व का हिअ क्यंकि बांस से ही बंस (वंश) है। वहीं जब उनसे पूछा गया कि लोग पीतल का भी सूप लेते हैं तो उन्होंने कहा कि जो लोग जोड़ा मानते हैं वो पीतल का सूप लेते हैं। लेकिन उसमें भी बांस रखना आवश्यक होता है।