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गंगा न्यूनतम जलस्तर के करीब तेजी से पहुंच रही है। अभी भारत में मानसून आया नहीं है और इस बार मानसून के देर से आने के देखते हुए गंगा में पहाड़ों से जल्द पानी आने की संभावना नहीं है। ऐसे में बैराज से छोड़े गये पानी से ही गंगा का जलस्तर बढ़ सकता है जिसके लिए जलकल विभाग ने पत्र भी लिखा है। जल्द ही गंगा में पानी की वृद्धि नहीं होती है तो शहर की पेयजल आपूर्ति प्रभावित हो जायेगी।
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गंगा से शहर के एक बड़े हिस्से में पानी की सप्लाई होती है। गंगा से प्रतिदिन 276 एमएलडी जल लेकर लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराया जाता है। गंगा का जलस्तर इस समय 193 फीट से कम हो गया है जबकि न्यूनतम जलस्तर 189 फीट निर्धारित है ऐसे में गंगा का जलस्तर और अधिक गिरता है तो शहर के बड़े हिस्से में पीने के पानी का संकट छा जायेगा।
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ऐसा नहीं है कि गंगा की यह हालत अभी हो गयी है। हर साल मई व जून में गंगा का यही हाल हो जाता है इसके बाद भी जलस्तर बढ़ाने के लिए कोई योजना नहीं बनायी गयी। गंगा में जल परिवहन व सी प्लेन की बात होती हैं लेकिन पानी की इतनी कमी हो गयी है कि गंगा अपने अस्तित्व की ही लड़ाई लड़ रही है। ऐसे में पीएम मोदी की योजनाएं पूरी कैसे होगी। इस पर सभी की निगाहे हैं।
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