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करीब 460 करोड़ रुपये की लागत से 50 हजार स्क्वायर फीट में बन रहे काशी विश्वनाथ धाम काॅरिडोर में इस बात का पूरा खयाल रखा जा रहा है कि श्रद्घालुओं को आवागमन में आसानी रहे। इसी आधार पर भव्य डिजाइन तैयार किया गया है। अब इसका भी खयाल रखा जा रहा है कि बरसात के मौसम में गंगा में उफान के चलते श्रद्घालुओं को किसी किस्म की कोई परेशानी न हो। जून से सितंबर तक बाढ़ के चलते श्रद्घालुओं के आवागमन के लिये गंगा किनारे छोर पर इंट्री व एग्जिट की व्यवस्था में बदलाव किया जाएगा। डिजाइन में कुछ फेरबदल करके इसे इस तरह बनाया जाएगा कि सावन और शिवरात्रि में आने वाली श्रद्घालुओं की भीड़ को किसी किस्म की कोई परेशानी न हो। जरूरत पड़ने पर इसके लिये मणिकर्णिका घाट और ललिता घाट पर बनने वाले मंच का आकार भी बदला जा सकता है।
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सूत्रों की मानें तो काॅरिडोर का माॅडल तैयार करने वाली कंस्ल्टेंट ने ही गंगा किनारे से प्रवेश का माॅडल तैयार किया है। अब इसे शासन से अनुमति दिलाने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि मंडलायुक्त अहमदाबाद जाकर माॅडल देख भी चुके हैं। जल्द ही धर्मार्थ कार्य मंत्री और शासन स्तर के अधिकारियों के समक्ष इसका प्रजेंटेशन होगा। इसके बाद यह शासन के पास अनुमति के लिये भेजा जाएगा।
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बताते चलें कि विश्वनाथ काॅरिडोर में छोटे-बड़े मिलाकर 24 भवों का निर्माण होना है। इनमें मंदिर परिसर के अलावा, मंदिर चौक, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी, मल्टीपरपज हाॅल, पर्यटक सुविधा केन्द्र, जनसुविधा ब्लाॅक, मुमुक्षु भवन, गेस्ट हाउस, नीलकंठ पवेलियन, सिक्योरिटी ऑफिस, युटिलिटी ब्लाॅक, गोदौलिया गेट, यात्री सुविधा केन्द्र, भाेगशाला, आध्यात्मिक पुस्तक केन्द्र, जलपान केन्द्र, वैदिक केन्द्र, सांस्कृतिक केन्द्र व दुकानें शामिल हैं।
बताते चलें कि काॅरिडोर की डिजाइन या निर्माण के संबंध में किसी भी तरह का कोई फैसला लेने के लिये कैबिनेट ने मंडलायुक्त की अध्यक्षता में आठ विभागों की एक संयुक्त समिति बनाई है। समिति के फैसले के बाद मंजूरी के लिये कैबिनेट के सामने रखा जाता है। निर्माण कार्य में रुकावटों और सहुलियतों को मद्देनजर रखते हुए पहले 10 भवनों के ड्राइंग में परिवर्तन किया जा चुका है।