लोगों का कहना है कि विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन अवसर पर मननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सार्वजनिक मंच से यह कहना कि हमने विश्वेश्वर को मुक्त कर दिया, यह अत्यंत हास्यास्पद और विस्मृत करने वाला बयान है। यक्ष प्रश्न यह है कि संसार के मुक्ति प्रदाता अविमुक्तेश्वर और सबको तारक मंत्र देने वाले विश्वेश्वर को ही मुक्ति प्रदान करने का दावा करने वाले के बारे में सीएम योगी आदित्यनाथ एवं अन्य अधिकारियों की सलाह पर प्रधानमंत्री के इस उद्बोधन को कहीं से न उचित ठहराया जा सकता है न प्रासंगिक।
काशी वासियों का कहना है कि यह बयान कहीं न कहीं यह काशी की धर्म-प्राण जनता और यहां के सनातनी समाज और परंपराओं का निश्चित रूप से चीर हरण सरीखा है। यह भी सत्य है कि वाराणसी का कोई भी व्यक्ति न तो विकास का विरोधी है और न ही कभी उसने ऐसा किया है। लेकिन संस्कृति की कीमत पर समृद्धि और विकास के नाम पर धार्मिक परंपराओं के नाम पर उड़ती हुई धज्जियां, किसी भी कीमत पर सनातनी समाज को स्वीकार्य नही होंगी। राजनैतिक विचारधारा के स्तर पर हमारे अलग-अलग विचार, मत और मतांतर हो सकते हैं। लेकिन सवाल जब आस्था,धर्म और परंपराओं का हो और जब उनके साथ कोई खिलवाड़ होगा तो ऐसे विकास को हम विनाश के रूप में देखेंगे। ऐसे विकास जी विनाशलीला किसे मर्माहत नही करेगी। हम संस्कृति की कीमत पर हम समृद्धि चाहते हैं।