अभी स्पेस के जानलेवा रेडिएशन से एस्ट्रोनॉट को बचाने की तकनीक पर चल रहा काम प्रो सिवन ने ये बातें आईआईटी बीएचयू में मीडिया से बातचीत में कहीं। वो यहां निर्मित इसरो के रीजनल एकेडमिक सेंटर का निरीक्षण करने आए थे। बातचीत के दौरान उन्होने गगनयान की लांचिंग के बाबात पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि फिलहाल हम स्पेस के जानलेवा रेडिएशन से एस्ट्रोनॉट को बचाने की तरकीब पर काम कर रहे हैं। बताया कि इसके तहत भारत, रेडिएशन प्रोटेक्शन फॉर एस्ट्रोनॉट सिस्टम विकसित करने में लगा है, क्योंकि बगैर इस टेक्नॉलजी के मानव मिशन पर आगे नहीं बढ़ा जा सकता। उन्होंने बताया कि चालू साल के अंत में इसरो का दूसरा मानव रहित मिशन “व्योममित्र” अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इस यान में एक रोबोट अंतरिक्ष यात्री के रूप में अंतरिक्ष में जाएगा।
इसरो ने स्पेस मिशन को बेहद किफायती बनाने को तैयार किया सितारा नामक साफ्टवेयर उन्होंने बतायाकि इसरो ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है जिससे भारत के स्पेस मिशन को काफी हद तक किफायती बना दिया जाएगा। इस साफ्टवेयर का नाम “सितारा” रखा गया है। इस सितारा नामक साफ्टवेयर के जरिए एक रॉकेट की टेस्टिंग पर आने वाले खर्च, (500 करोड़ रुपये) को बचाया जा सकेगा।
अब कम्प्यूटर स्क्रीन पर ही रॉकेट का चल रहा परीक्षण इसरो के पूर्व अध्यक्ष व चंद्रयान-2 के नेतृत्वकर्ता प्रो. के. सिवन ने मीडिया को बताया कि अब परीक्षण के लिए ओरिजिनल रॉकेट को लांच या परीक्षण की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। सितारा की मदद से कम्प्यूटर स्क्रीन पर ही रॉकेट के परीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके तहत जिस रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजना है, उसका स्पेसिफिकेशन फीड करके उस रॉकेट की डिजाइन तैयार की जाती है। इससे रॉकेट के फ्यूल, इंजन, डायरेक्शन, स्पीड, टारगेट, सैटेलाइट लांचिग आदि सब कुछ की टेस्टिंग का परिणाम ठीक वैसे ही मिलेगा जिस तरह से फिजिकल टेस्ट में मिलता है।
आईआईटी बीएचयू को 10 शोध के लिए धन देगा इसरो उन्होंने बताया कि आईआईटी बीएचयू में स्थापित इसरो के रीजनल एकेडमिक सेंटर में स्पेस मिशन के लिए 15 शोध चल रहे हैं। इनमें थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम, हाई एनर्जी प्रोपल्सन, हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग, लाइट वेट मैटीरियल, रोबस्ट कंट्रोल, 2डी मैटेरियल फॉर सेंसर्स, डिजाइन फॉर सिंक स्टेज रॉकेट, रोबोटिक बेस्ड अनमैंड मिशन, पॉवर सैटेलाइट, सिरामिक एंड मेटल ज्वाइंट प्रमुख हैं। इनमें से 10 रिसर्च को वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना है।