संस्थान के संसाधन एवं पूर्व छात्र अधिष्ठाता प्रो एके त्रिपाठी ने बताया कि वर्ष 1919 में बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना हुई, 1968 में प्रौद्योगिकी संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय बना। फिर 2012 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का दर्जा मिला। उन्होंने कहा कि संस्थान का मुख्य
ध्यान सभी विभागों को पंक्तिबद्ध और विकसित करना है ताकि वे उद्योगों के साथ सहयोग कर सकें और अगले स्तर पर पहुंच सकें। उन्होंने बताया कि संस्थान की भलाई के लिए शताब्दी समारोह के एक हिस्से के रूप में संस्थान को नई परियोजनाएं लांच करने का सुनहरार मौका है।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो राजीव संगल ने समारोह में आए सभी पूर्व छात्रों और अतिथियों का स्वागत किया। वहीं, पूर्व छात्र इंटरेक्शन प्रकोष्ठ के सदस्य आयुष जैन ने समारोह को सफल बनाने के लिए प्रबंधन कमेटी का धन्यवाद किया। संस्थान के पूर्व छात्र और भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट डल हवअण्पद के सीईओ अरविंद गुप्ता और अमेजन वेब सीरीज के एमडी राहुल शर्मा समेत संस्थान के शिक्षक, कर्मचारी और भारी संख्या में छात्र भी उपस्थित रहे। देर शाम स्वतंत्रता भवन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसमें छात्रों द्वारा नृत्य, गीत-संगीत और नाट्य मंचन, काव्य समारोह का भी आयोजन किया गया।
शताब्दी समारोह के दौरान संस्थान में विभिन्न प्रोजेक्ट्स लांच किये गए-
-शताब्दी सांस्कृतिक संकुल – संस्थान में ऐसे भवन का निर्माण जहां सांस्कृतिक आयोजन कराए जा सकें। -शताब्दी गोष्ठी संकुल – संस्थान में ऐसे भवन का निर्माण जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शैक्षणिक गोष्ठियां कराई जा सकें।
-शताब्दी कोष – संस्थान में शताब्दी समारोह के दौरान ऐसा कोष तैयार किया जाए जिसमें पूरे विश्व में फैले पूर्व छात्रों द्वारा दान किया हुआ धन एक ही कोष में जमा कर संस्थान के विकास में लगाया जा सके।
शताब्दी इंफारमेशन टेक्नौलाॅजी सर्विस सेंटर – संस्थान में ऐसा केन्द्र बने जहां तकनीकी स्तर पर उच्च शिक्षा छात्रों को दी जा सके। -शताब्दी ग्रन्थागार – संस्थान में ऐसी आधुनिक लाइब्रेरी का निर्माण करना।