स्वास्थ्य विभाग का सबसे अधिक फोकस ग्रामीण क्षेत्रों पर होता था वहां पर सबसे अधिक आशा नियुक्त की गयी थी, जो ग्रामीणों के घरों में जाकर उन्हें स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रति जागरूक करने के साथ परिवार नियोजन व संस्थागत प्रसव कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। ग्रामीण क्षेत्र के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अपना फोकस शहर की मलिन बस्ती (स्लम एरिया) पर किया। यहां के निवासियों को अच्छी स्वास्थ्य सेवा देने के लिए 675 आशा तैनात की गयी। यह आशा शहर के पूरे हिस्से में काम कर रही है। शहर की बढ़ती आबादी को देखते हुए आशा की संख्या बढ़ाने पर निर्णय हुआ था उसी क्रम में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) के तहत 90 नई आशा की तैनाती की जा रही है। स्लम एरिया में 300नई और आशा की तैनाती पर भी काम शुरू हो गया है। सीएमओ डा.वीबी ङ्क्षसह ने कहा कि एनयूएचएम के तहत चयनित आशा का प्रशिक्षण कराया जा रहा है। जिनका प्रशिक्षण पूरा हो चुका है उन्होंने अपना कार्य भी आरंभ किया है। सीएमओ ने कहा कि आशा की संख्या बढऩे से स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत होगी। एसीएमओ डा.एके मौर्या ने कहा कि शासन के निर्देशानुसार शहरी आशा को उनके कार्य के लिए दो हजार रुपये प्रतिमाह देने का प्रावधान किया गया है। राशि का समय से भुगतान होने पर आशा की कार्य क्षमता में वृद्धि होती है।
यह भी पढ़े:-#patrikaUPnews-अमरनाथ यात्रा से वापस आये लोगों ने बताया कि कैसा है वहां का हाल आशा करती है यह कामगर्भावस्था के समय से महिला व प्रसव के बाद नवजात की स्वास्थ्य रक्षा व टीकाकरण, लोगों को परिवार नियोजन की जानकारी देना, स्वास्थ्य सामाग्री ओआरएस पैकेट, आयरन की गोलियां, गर्भ निरोधक आदि प्रदान करना, स्वास्थ्य केन्द्र की सुविधा व शासन से मिलने वाली योजना की जानकारी देना आदि काम है।
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