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सपा के तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव के समय ही वरूणा कॉरीडोर की नीव रखी थी। सैकड़ों करोड़ से लगभग 10 किलोमीटर के क्षेत्र में पाथ वे बनाया गया है। यूपी मेें सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद भी वरूणा कॉरीडोर प्रोजेक्ट के साथ न्याय नहीं हो पाया है। प्रोजेक्ट भी पूरा नहीं बना है कि इसके पहले ही जगह-जगह की जमीन धस गयी है। कई जगहों की रेलिंग टूट चुकी है। चौकाघाट के पास सीवर का पानी के चलते कॉरीडोर का एक हिस्सा ही धसा हुआ है। सीवर के पानी को एसटीपी तक भेजने के लिए पाइप लाइन तक नहीं बिछ पायी है। ऐसे में अधिकारियों के लिए ई रिक्शा कॉरीडोर की शुरूआत करना किसी चुनौती से कम नहीं है।
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वरूणा नदी की दयनीय स्थिति पर एनजीटी भी सख्त है। एनजीटी के पूर्वी यूपी के चेयरमैन जस्टिस डीपी सिंह ने खुद वरूणा नदी का हाल देखा था। जगह-जगह पर कूड़े का ढेर मिला था। सीवर के साथ स्लाटर हाउस का गंदा पानी भी नदी को प्रदूषित कर रहा था। अतिक्रमण के चलते नदी की दिशा तक बदल गयी है। जस्टिस डीपी सिंह के लगातार निर्देश देने के बाद भी जब स्थिति नहीं सुधरी तो जुर्माना भी लगाया गया है इसके बाद भी वरूणा पर अधिकारियों का ध्यान नहीं है।
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