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गोरखपुर संसदीय सीट से बीजेपी ने किसी को प्रत्याशी नहीं बनाया है। गोरखपुर को सीएम योगी आदित्यनाथ का गढ़ कहा जाता है लेकिन उपचुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी प्रत्याशी को लेकर संशकित है। निषाद पार्टी से बीजेपी ने गठबंधन की तैयारी की है जिससे इस सीट पर फिर से कब्जा किया जा सके।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने फूलपुर सीट से पहली बार २०१४ में चुनाव जीता था लेकिन उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी कौशलेन्द्र सिंह पटेल को अलिखेश यादव व मायावती के गठबंधन वाले प्रत्याशी से हार मिली थी। इस सीट पर अनुप्रिया पटेल अपने प्रत्याशी उतारेंगे या फिर बीजेपी। अभी तक निर्णय तक नहीं हुआ है।
अखिलेश यादव ने आजमगढ़ सीट से चुनाव लडऩे का ऐलान किया है इसके बाद भी बीजेपी को इस सीट पर प्रत्याशी नहीं मिल रही है। कभी बाहुबली रमाकांत यादव तो कही दिनेश लाल यादव निरहुआ को टिकट देने की बात होती है। फिलहाल बीजेपी को इस सीट पर जिताऊ उम्मीदवार नहीं मिल रहा है।
भदोही सीट के सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त को बलिया से प्रत्याशी बनाया गया है इस सीट पर बीजेपी का उम्मीदवार कौन होगा। यह अभी तय नहीं है। कभी बाहुबली विजय मिश्रा का नाम प्रत्याशी के तौर पर आता है तो कभी किसी अति पिछड़े को टिकट देने की चर्चा होती है लेकिन बीजेपी अभी तक इस सीट पर प्रत्याशी नहीं खोज पायी है।
लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी प्रत्याशी ने राबर्ट्सगंज सीट सीट पर छोटे लाल को प्रत्याशी बनाया था और मोदी लहर में इस सीट पर बीजेपी को विजय मिली थी। इस बार बीजेपी के पास इस सीट के लिए कोई प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। जबकि महागठबंधन में सपा ने भाई लाल कोल को प्रत्याशी बनाया है जबकि राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के कांग्रेस ने इस सीट पर भगवती प्रसाद चौधरी को टिकट दिया है। ऐसे में बीजेपी की राह आसान नहीं रह गयी है अब देखना है कि इन पांचों सीट पर बीजेपी को जिताऊ उम्मीदवार कब मिलते हैं।
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