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बीजेपी कभी चुनाव में सीधी लड़ाई नहीं लडऩा चाहती है। वजह साफ है कि जब भी वोटों का बंटवारा नहीं होता है तब बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ता है। एक ही स्थिति में बीजेपी सीधी लड़ाई लडऩा चाहती है जब प्रचार की जिम्मेदारी पीएम नरेन्द्र मोदी उठाते हैं। यूपी में होने वाले उपचुनाव में पीएम नरेन्द्र मोदी के प्रचार करने की संभावना बहुत कम है ऐसे में बीजेपी के लिए सपा व बसपा का अलग होना फायदेमंद साबित होगा।
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सपा व बसपा के अलग हो जाने से मुस्लिम वोटों का बंटवारा होना तय है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने जिस तरह से खुद को गठबंधन से अलग होने की बात कही है उससे सपा के कैडर वोटरों में नाराजगी बढ़ सकती है यदि ऐसा हुआ तो पूर्वांचल में बीजेपी की राह आसान हो जायेगी। यूपी चुनाव 2022 का परिणाम सीएम योगी आदित्यनाथ का भविष्य तय करने वाला होगा। बीजेपी के चाणक्य अमित शाह ने जिस तरह से 50प्रतिशत वोटरों को ध्यान में रख कर रणनीति बनायी थी उसका फायदा बीजेपी को हुआ था। अमित शाह की रणनीति के बाद भी बीजेपी को पूर्वांचल में कई सीटे हारनी पड़ी थी। ऐसे में सपा व बसपा गठबंधन टूटने से बीजेपी को राहत मिलेगी और चुनाव की राह आसान हो सकती है।
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