बता दें कि विश्वविद्यालय में इस वक्त सेमेस्टर परीक्षाएं चल रही हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को राजनीति विज्ञान विभाग में एमए प्रथम वर्ष की प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा थी। उस परीक्षा में एक सवाल पूछा गया कि, चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में आर्थिक सलाहकार कौटिल्य की की नजरों में जीएसटी का क्या मतलब था? इस प्रश्न का जवाब निबंध के रूप में लिखना था। छात्रों ने जब पेपर पढ़ा तो वो चौंक गए। कारण राजनीति विज्ञान संकाय में जीएसटी की पढ़ाई नहीं होती। उनका यह भी कहना था कि जीएसटी तो अभी-अभी केंद्र सरकार ने लागू किया है, ऐसे में इसे मौर्य काल से कैसे जोड़ा जाए।
बता दें कि केंद्र सरकार ने जैसे ही जीएसटी लागू किया था उसी वक्त बीएचयू के वाणिज्य व प्रबंध शास्त्र विभाग ने तो इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने की पहल की थी मगर राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया था। तब विभाग के अध्यक्ष प्रो. कौशल किशोर मिश्र थे जिनका भाजपा और संघ से नजदीक का रिश्ता माना जाता है। लेकिन अब उनके पद से हटने के बाद जब यह सवाल पूछा गया परीक्षा में तो विभिन्न छात्र संगठनों ने इसे मुद्दा बना लिया। वे इस सवाल को ही व्हाट्सएप व फेसबुक पर वायरल करने लगे। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस तरफ से आंखें मूंद ली हैं।