वाराणणसी. BHU अस्पताल के जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल लगातार दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी है। लगातार दो दिनों से जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर रहने से चिकित्सा सेवा पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। कुछ सीनीयर्स ओपीडी संभाल रहे हैं पर वह नाकाफी साबित हो रहा है। इस बीच जूनियर डॉक्टर्स ने विश्वविद्यालय के सर सुदरलाल चिकित्सालय (आईएमएस बीएचयू) में एम्स व पीजीआई जैसी सुरक्षा की मांग की है।
बता दें कि 30 अक्टूबर को इमरजेंसी और वार्ड में हुई कहासुनी के बाद रविवार को जूनियर डॉक्टर की पिटाई के विरोध में आईएमएस बीएचयू के सीनियर रेजिडेंट्स सोमवार से ही हड़ताल पर है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपना रुख साफ कर दिया है। उनका कहना है कि जूनियर डॉक्टर की पिटाई करने वाले लोगों की जब तक गिरफ्तारी नहीं होती तब तक कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। हालांकि जूनियर डॉक्टर्स की लिखित शिकायत पर विश्वविद्यालय का प्राक्टोरियल बोर्ड पहले ही लंका थाने में 5 अज्ञात लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर चुका है। लेकिन हमलावर अभी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।
उधर जूनियर डॉक्टर हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हैं। जूनियर डॉक्टर गौतम कुमार अग्रवाल बताते हैं कि बीएचयू की सुरक्षा व्यवस्था में सेवानिवृत्त सैन्य कर्मी हैं। उनकी उम्र ऐसी नहीं कि वो किसी को दौड़ा कर पकड़ सकें या ऐसे शरारती तत्वों पर लगाम कस सकें। ऐसे में बीएचयू में भी एम्स व पीजीआई की तर्ज पर नौजवान सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति होनी चाहिए।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि सर सुंदरलाल चिकित्सालय में लगे सीसीटीवी कैमरों की क्षमता वृद्धि के साथ संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है। बताया कि अब 30 अक्टूबर की घटना की जानकारी सीसीटीवी कैमरे में कैद नहीं हो सकी है। ऐसे सीसीटीवी कैमरे किस काम के।
उन्होंने कहा कि अस्पताल के लिए कुछ सख्त नियम बनाने की भी जरूरत है, किसी भी वार्ड में या इमरजेंसी में मरीज के साथ भीड़ नहीं आनी चाहिए। डॉ अहरवार ने मेडिकल कैंटीन को भी बाहरी लोगों के लिए प्रतिबंधित करने की मांग की।
इस बीच अस्पताल का हाल बुरा है। 16 में से कुछ ही ओपीडी में काम चल रहा है। जूनियर्स के आगे सीनियर डॉक्टर भी हार मान ले रहे हैं। उनका कहना है कि एक दिन में एक ओपीडी में जितने मरीज आते हैं उन सभी को एक सीनियर डॉक्टर पर्याप्त अपेक्षित समय नहीं दे सकता। ऐसे में जूनियर्स के रहने से काफी सहूलियत होती है। फिर भी हम लोगों से जितना हो पा रहा है किया जा रहा है।
लेकिन सूत्र बताते हैं कि अब दूसरे दिन वार्डों में भर्ती मरीजों को छुट्टी दी जाने लगी है। वैसे दूर-दराज से आए कुछ मरीजो को तो उनके तीमारदार कल ही आस-पास के निजी अस्पतालों में लेकर चले गए थे। बावजूद इसके अस्पताल की लॉबी में अब भी मरीजों और तीमारदारों की भारी भीड़़ जमा है। पर्ची काउंटर पर भी मरीजों की भीड़ जमा है। ओपीडी के सामने लंबी लाइन लगी है।
लेकिन जूनियर डॉक्टरों फिलहाल आपात चिकित्सा सेवा को छोड़ अन्य सभी कार्यों से खुद को अलग रखा है।
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