वाराणसी

संसदीय चुनाव के लिए बाहुबलियों ने बिछायी बिसात, इन पार्टियों से मिल सकता है टिकट

संसदीय व यूपी विधानसभा चुनाव में हार के चलते बिगड़ा है समीकरण, जानिए क्या है कहानी

वाराणसीFeb 26, 2018 / 12:26 pm

Devesh Singh

Bahubali leader

वाराणसी. संसदीय चुनाव २०१९ की सुगबुगुहाट शुरू हो गयी है। बीजेपी व सपा ने चुनाव का बिगुल बजा कर सभाओं का आयोजन शुरू कर दिया है। चुनाव में राजनीतिक दलों ने जीत के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। पूर्व में हुए संसदीय व विधानसभा चुनाव में कुछ बाहुबलियों को हार मिली थी, जिसके बाद से बाहुबलियों ने पार्टी के टिकट के लिए बिसात बिछानी शुरू कर दी है।
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यूपी चुनाव 2017 बाहुबलियों के लिहाज से अच्छा नहीं था। कई बाहुबलियों को पार्टी बदलनी पड़ी तो कुछ को छोटे दल का सहारा लेना पड़ा। बाहुबली राजा भैया के पास अपना जन समर्थन है इसलिए उन्हें किसी दल की जरुरत नहीं होती है। कुंडा विधायक राजा भैया विधानसभा व संसदीय दोनों ही चुनाव अब बल पर जीतने की ताकत रखते हैं। बाहुबली क्षत्रिय नेता धनंजय सिंह को यूपी विधानसभा चुनाव में हार मिल चुकी है उन्हें भी किसी दल का सहारा चाहिए। बाहुबली विधायक विजय मिश्रा भले ही चुनाव जीत गये हैं लेकिन निषाद पार्टी को लेकर उनका साथ अधिक दिन का नहीं दिखता है। माफिया से माननीय बने एमएलसी बृजेश सिंह को पर्दे के पीछे से बीजेपी का साथ मिलता है लेकिन वह अब खुल कर किसी दल के साथ आ सकते हैं।
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मुख्तार अंसारी व राजा भैया तय कर सकते बाहुबलियों का टिकट
राजा भैया ने अपना कद बड़ा कर लिया है। मुख्तार अंसारी बीमार थे तो उन्हें भी जाकर अस्पताल में हाल लिया था और बृजेश सिंह के बड़े भाई चुलबुल सिंह के निधन पर उनके परिवार में जाकर श्रद्धांजलि दी थी। अखिलेश यादव ? से राजा भैया के संबंध मुलायम सिंह यादव जितने गहरे नहीं है जबकि राजनाथ सिंह से उनकी रिश्तेदारी है जो बीजेपी में बाहुबलियों की इंट्री करा सकती है। बाहुबली मुख्तार अंसारी अब बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए खास हो चुके हैं। बाहुबली अतीक अहमद के बसपा में जाने की जो अटकले लग रही है उसके पीछे भी मुख्तार अंसारी है।
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जानिए बाहुलियों को किस पार्टी से मिल सकता है टिकट
राजा भैया को चुनाव जीतने के लिए किसी दल की जरूरत नहीं होती है। समय-समय पर राजा भैया के बीजेपी में जाने की अटकले लगती रहती है, यदि ऐसा होता है तो राजा भैया भी बीजेपी के खेमे से चुनाव लड़ सकते हैं। मुख्तार अंसारी ने पहले सपा ज्वाइन किया था बाद में बसपा का दामन थाम लिया। बसपा के बैनर तले विधानसभा चुनाव भी जीता है। मुस्लिमों का बड़ा नेता होने के चलते मुख्तार अंसारी की अन्य दलों में भी मांग होती है। बीजेपी को छोड़ दिया जाये तो सपा में भी मुख्तार अंसारी को चाहने वालों की कमी नहीं है। फिलहाल मुख्तार अंसारी बसपा के साथ ही रहेंगे, लेकिन बहुत जरूरत पड़ी तो सपा का भी साथ मिल सकता है क्योंकि अखिलेश यादव भी विधानसभा चुनाव में मिली कार से परेशान है। बाहुबली अतीक अहमद का टिकट अखिलेश यादव के चलते सपा से कटा था बीजेपी में उनका जाना संभव नहीं हैं। अतीक अहमद से मायावती की नाराजगी राजू पाल हत्याकांड से थी लेकिन बसपा ने ही राजू पाल की पत्नी पूजा पाल को पार्टी से निकाल दिया है, ऐसे में माना जा रहा है कि अतीक अहमद का अब बसपा में जाने का रास्ता साफ हो गया है। बाहुबली धनंजय सिंह को भी पार्टी के सहारे की जरूरत है। बीजेपी में जाना चाहते थे लेकिन जा नहीं पाये। बसपा में रह चुके हैं और सपा को लेकर किसी तरह की दिक्कत नहीं है इसलिए धनंजय सिंह बीजेपी, सपा या फिर बसपा के टिकट से चुनाव लड़ सकते हैं। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बेटे ने सपा के सिंबल से गोरखपुर संसदीय सीट पर होने वाले उपचुनाव से नामांकन दाखिल किया है इसलिए निषाद पार्टी के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा नाराज चल रहे हैं उनका अखिलेश यादव से मनमुटाव जगजाहिर है। विजय मिश्रा के पास अब बसपा या फिर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लडऩे का विकल्प बचा है।माफिया से माननीय बने बृजेश सिंह भी राजनीति का बड़ा चुनाव लडऩा चाहते हैं अभी तो बृजेश सिंह एमएलसी है लेकिन राजनीति में कद बढ़ा करना है तो विधानसभा या संसदीय चुनाव जीतना होगा। बृजेश सिंह परिवार की बीजेपी से नजदीकी किसी से छिपी नहीं है ऐसे में बृजेश सिंह अपनी नयी राजनीति पारी बीजेपी के साथ शुरू करते हैं तो काई अचरज नहीं होगा।
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