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वाराणसी

नहीं रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में ली आखिरी सांस

गुरुवार को एमस में हालत चिंताजनक होने के बाद पूरे देश में मांगी जा रही थी उनकी सलामती के लिये दुआ।

वाराणसीAug 16, 2018 / 05:52 pm

रफतउद्दीन फरीद

Atal Bihari Vajpayee

अटल बिहारी वाजपेयी

वाराणसी. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लम्बी बीमारी के बाद गुरुवार को नई दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। 15 अगस्त को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद से ही लगातार नेता उनका हाल जानने के लिये पहुंच रहे थे। गुरुवार की सुबह एम्स के बुलेटिन में भी उनकी हालत चिंताजनब बतायी गयी थी। उनकी हालत खराब होने की खबर के बाद पूरे देश में उनकी सेहत के लिये पूजा और दुआएं की जा रही थीं। 15 अगस्त की रात को ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हें देखने पहुंचे थे और काफी देर तक उनकी सेहत के बारे में वहां के डॉक्टरों से जानकारी ली।
उनके अलावा केन्द्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, जितेन्द्र सिंह, अश्विनी चौबे, स्मृति ईरानी, शाहनवाज हुसैन, अमित शाह जैसे दिग्गज नेता भी उनका हाल जानने पहुंचे। वह लगातार लाइफ सपोर्ट पर थे। अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की सूचना मिलते ही पूरे देश में गम की लहर दौड़ गयी। कवि हृदय और लोगों के दिल में बसने वाले अटल बिहारी वाजपेयी का जाना पूरे देश के लिये एक अपूर्णीय क्षति है। पूर्वांचल के बीजेपी के ज्यादातर मंत्री से लेकर तकरीबन सभी बड़े नेता उनकी सेहत का हाल जानने दिल्ली पहुंचे रहे।

वाराणसी, मिर्जापुर, बलिया,गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, कौशाम्बी समेत पूर्वांचल के सभी जिलों में उनकी सलामती के लिये दुआ कर रहे लोगों को गहरा सदमा पहुंचा। उनके निधन की खबर से मायूसी छा गयी। हर धर्म हर वर्ग में बेहद लेाकप्रिय अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक जताने वालों का सिलसिला जारी है।

अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे और 1968 से लेकर 1973 तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।
1955 में पहला लोकसभा चुनाव लड़े पर हार गए।
1957 में गोंडा जिले की तब की बलरामपुर सीट से जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने।
1977 तक वह जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे।
मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 से 1979 तक वो विदेश मंत्री रहे।
1980 में उन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भाजपा की स्थापना में जुट गए।
1980 में जब भारतीय जनता पार्टी बनी तो वह उसके पहले अध्यक्ष बनाए गए।
अटल जी दो बार राज्यसभा में भी रहे।
1996 में वह पहली बार 13 दिन के लिये प्रधानमंत्री बने।
1998 में 13 दलों के गठबंधन की सरकार बनी जिसमें वह फिर प्रधानमंत्री बने।
1999 से 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे।

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