इस पुस्तक में बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी संतों के विचार भी शामिल होंगे। उदाहरण के लिए, सूफी संत अल्लामा मौलाना ज़फ़रूद्दीन बिहारी के प्रसिद्ध शब्द हैं: “हकीकत को पहचानने के लिए, दिल की आंखें खोलनी पड़ती हैं।” सूफी संत शेख शरफुद्दीन यहया मनेरी के शब्द, “सच्चा सूफी वही है जो अपनी आत्मा की गहराई में ईश्वर की पहचान कर सके।” भी इस किताब में शामिल होंगे।
सय्यद अमजद हुसैन की यह पुस्तक सूफी परंपरा के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण योगदान मानी जाएगी। उनकी यह पहल न केवल सूफी शिक्षाओं को नई पीढ़ी के सामने लाएगी बल्कि बिहार की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को भी संरक्षित करेगी। किताब के प्रकाशन की तारीखों की घोषणा जल्द की जाएगी, और इसके साथ ही हुसैन विभिन्न साहित्यिक और शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन भी करेंगे ताकि परंपरा पर व्यापक चर्चा हो सके।