इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस समित गोपाल की सिंगल बेंच ने यह आदेश दिया। हाई कोर्ट ने दो सितंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद मामले में फैसले को सुरक्षित रख लिया था।
जौहर यूनिवर्सिटी के कैंपस से बरामद हुई थी नगर पालिका की सफाई मशीन
शिकायतकर्ता के वकील शरद शर्मा ने बताया कि ये मामला साल 2019 का है। उस समय नगर पालिका की एक सफाई मशीन चोरी हुई थी, जिसे जौहर यूनिवर्सिटी के कैंपस से बरामद किया गया था। इस मामले में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया है।
शरद शर्मा ने कहा, “आजम खान ने याचिका के माध्यम से कोर्ट को बताया था कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं थी, लेकिन वह यूनिवर्सिटी के ट्रस्टी थे। इन्हीं के कैंपस से सफाई मशीन बरामद की गई थी। कोर्ट ने इन्हें इसका जिम्मेदार माना और उनकी बेल को रिजेक्ट कर दिया।“
उन्होंने बताया कि
आजम खान के वकील कपिल सिब्बल ने अपने मुवक्किल का बचाव किया और कहा कि उनका इस केस से कोई लेना देना नहीं है। ये मशीन नगर पालिका के लिए आई थी और साल 2017 में जब सरकार बदली, तो इस मशीन को गड्ढा खोदकर जौहर यूनिवर्सिटी कैंपस में दफना दिया था। इस मशीन को 2019 में यूनिवर्सिटी कैंपस से बरामद किया गया। बाकर अली खान नाम के शख्स ने इस संबंध में आजम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
बता दें कि इस मामले में
रामपुर कोतवाली में आजम खान और अब्दुल्ला आजम के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। गौरतलब है कि सपा नेता आजम खान को एमपी-एमएलए कोर्ट से 2019 में आचार संहिता उल्लंघन मामले में जमानत दी गई थी, लेकिन वह अन्य मामलों को चलते रिहा नहीं हो पाए।