महाकाल क्षेत्र विस्तार से श्रद्धालु बढ़ेंगे
स्मार्ट सिटी अंतर्गत लगभग 750 करोड़ रुपए से महाकाल क्षेत्र का विकास और विस्तारीकरण किया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट उज्जैन की नई दशा और दिशा तय करने वाला होगा। पहले चरण के अंतर्गत 316 करोड़ रुपए से महाकाल कॉरिडोर व अन्य विकास कार्य पूरे हो चुके हैं। उम्मीद है, इससे श्रद्धालुओं की संख्या में तीन गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। सामान्य दिनों में 20-25 हजार श्रद्धालु-पर्यटक शहर आते हैं। इनमें से अधिकांश महाकाल दर्शनार्थी होते हैं। महाकाल क्षेत्र विकास के बाद यह आंकड़ा प्रतिदिन औसत 60 हजार से अधिक पहुंचेगा। इस स्थिति के लिए हमें पर्याप्त सुविधाओं की जरूरत होगी।
पर्यटन राजधानी बनने के लिए हम इसलिए योग्य
शिप्रा के साथ ही धार्मिक, पौराणिक व ऐतिहासिक स्थल बड़ी संख्या में शहर में मौजूद हैं।
पर्यटक व श्रद्धालुओं से एक वर्ष में महाकाल मंदिर समिति को ही 81 करोड़ की आय हुई।
शहर की आबादी करीब 6.50 लाख है जबकि रोज 30-40 हजार धार्मिक पयर्टक आते हैं।
निजी होटलों की बड़ी शृंखला है।
अधिकतर प्रदेशों से सड़क, रेल माध्यम से आसान कनेक्टिविटी।
डेढ़ घंटे की दूरी पर एयरपोर्ट है।
सुझाएं महाकाल कॉरिडोर का नाम
महाकाल कॉरिडोर के नामकरण के लिए हर उज्जैनवासी हिस्सेदारी कर सकता है। पत्रिका आपके प्रस्तावित नामों को प्रशासन तक पहुंचाएगा। आप पत्रिका वॉट्सऐप नंबर 8103843438 पर कॉरिडोर का नाम के साथ अपना नाम-पता भेजें।
आज मिले कुछ चुनिंदा नाम –
मोहन जगदाले : पिनाक पुनीत परिसर, पिनाक पावन पथ
बालकृष्ण शर्मा विरही : अवंतिकानाथ महाकाल दरबार, त्रिलोकीनाथ दिव्य प्रांगण
धीरेंद्र चौहान: शिव स्वरूपालय
अमृता राठौर: कनकश्रंगा शिवाला
ज्योति गुप्ता: शिवालय, शिव श्रृष्टि, रुद्रालय, शिवलोक, महाकाल पुरम, अवंतिकानाथ
ललिता शर्मा : जय शिव मानस पथ, श्री शिव कृपा मानस पथ
किशन भागचंदानी : शिवलोक
प्राची गायकवाड़ : कनकश्रृंगा कॉरिडोर, प्रतिकल्पा पथ, अवंतिका अटल पथ
आलोक रघुवंशी : महाकाल सुंदर वन
राजभूषण श्रीवास्तव : महापथ
इन पुरानी योजनाओं पर भी मुहर की जरूरत
खान डायवर्शन
सेवरखेड़ी डैम
शिप्रा के स्वच्छ जल को खान का प्रदूषित पानी मैला कर रहा है। सिंहस्थ में 100 करोड़ से बनी खान डायवर्सन योजना फैल हो चुकी है। खान नदी को शिप्रा में मिलने से रोकने 650 करोड़ की योजना बनाई है। निर्णय का इंतजार है।
शहर में शिप्रा नदी पर एक डैम बनाए जाने की आवश्यकता है। सेवरखेड़ी डैम को लेकर नए सिरे से प्रोजेक्ट बनाकर भोपाल भेजा जा चुका है। 450 करोड़ से बनने वाले इस डैम को लेकर अब सरकार को ही प्रयास करना है।
फ्रीगंज ब्रिज
सिंहस्थ मेला क्षेत्र
करीब दो दशक से फ्रीगंज ब्रिज के निर्माण की मांग हो रही है। सालभर पहले सरकार ने ब्रिज निर्माण को लेकर बजट में प्रावधान किया। करीब 92 करोड़ का खर्चा आना है। संभवत: बजट के कारण भोपाल से छह महीने से इस पर निर्णय ही नहीं लिया जा सका है।
सिंहस्थ मेला क्षेत्र का निर्धारण को लेकर स्थिति साफ नहीं है। मेला क्षेत्र में तेजी से कॉलोनी व अवैध पक्केे निर्माण तक हो रहे हैं। सालभर बाद भी शहर का मास्टर प्लान स्वीकृत नहीं हो पाया है। सरकार सिंहस्थ क्षेत्र को लेकर जल्द निर्णय लें ताकि इसे सुरक्षित रखा जा सके।
इन कामों पर भी सरकार दें ध्यान
शहर की खराब सड़क सुधारने बजट स्वीकृत करें।
मेडिकल कॉलेज के लिए भूमि आवंटन की प्रक्रिया पूरी करें।
दताना-मताना हेलीपेड के विकास व महाकाल मंदिर में हेलीपेड निर्माण की स्वीकृति।
छोटे उद्योगों में पोहा, प्लास्टिक जैसे प्रस्तावित क्लस्टर की स्वीकृति मिले।