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उज्जैन

माधव नगर अस्पताल में यह कैसा उपचार… मरीजों को निजी अस्पताल बुलाकर मोटी रकम वसूल रहे डॉक्टर्स

एक अस्थि रोग विशेषज्ञ ने निजी अस्पताल में ऑपरेशन कर वसूले २५ हजार रुपए तो दूसरे डॉक्टर ने जिसे बताया नॉर्मल उस मरीज को निकले 3 फ्रैक्चर

उज्जैनJun 08, 2018 / 12:32 am

Lalit Saxena

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एक अस्थि रोग विशेषज्ञ ने निजी अस्पताल में ऑपरेशन कर वसूले २५ हजार रुपए तो दूसरे डॉक्टर ने जिसे बताया नॉर्मल उस मरीज को निकले 3 फ्रैक्चर

उज्जैन. फ्रीगंज स्थित माधव नगर ट्रामा यूनिट में अस्थि मरीजों को किस प्रकार का उपचार दिया जा रहा है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां पहुंच रहे ज्यादातर मरीजों को चिकित्सक आधा-अधूरा उपचार देकर निजी अस्पतालों का रास्ता दिखा देते हैं और फिर यही डॉक्टर निजी अस्पताल में भारी-भरकम फीस लेकर ऑपरेशन करते हैं। ओपीडी में पहुंचने वाले ज्यादातर मरीजों का नार्मल बताकर रवाना कर दिया जाता है, लेकिन दर्द और पीड़ा ठीक नहीं होने पर जब मरीज अन्य चिकित्सकों के बाद जाते हैं तो वहां मर्ज गंभीर निकलता है।
मोटी रकम वसूली, अब शिकायत वापसी का दबाव बना रहे डॉक्टर
नीलगंगा निवासी ममता राय ने बताया कि पति अनुराग पिता लक्ष्मीनारायण राय पर जानलेवा हमला हुआ था। हमले में उन्हें हाथ और कंधे में गंभीर चोट आई थी। घटना के बाद वे पति को गंभीर हालत में माधव नगर अस्पताल लेकर पहुंची।
डॉक्टर संजय राणा ने चेकअप के बाद हाथ में राड डालने की बात कही, लेकिन अस्पताल में सुविधा नहीं होने के चलते एसएस गुप्ता हॉस्पिटल में ऑपरेशन करने की बात कही। मजबूरी में उन्होंने उन्हें ऑपरेशन करवाना पड़ा। २५००० रुपए में ऑपरेशन किया। इसके बाद टांके कटवाने के समय भी १००० रुपए ले लिए। इसकी शिकायत उन्होंने सीएम हेल्पलाइन में की है। शिकायत के बाद से ही डॉ.राणा फोन करके शिकायत वापस लेने का दवाब बना रहे हैं।
स्वस्थ बताया, पसली में निकला फ्रैक्चर
बडऩगर के समीप ग्राम सुंदराबाद निवासी राहुल पिता मदनलाल परमार ने बताया कि पिछले सप्ताह उनके साथ घर-घुसकर मारपीट की गई थी। जिसमें छोटे भाई लखन को चोट पहुंची थी। घटना के बाद वे बडऩगर अस्पताल पहुंचे लेकिन वहां से उन्हें रेफर कर दिया गया। इसके बाद माधव नगर अस्पताल पहुंचे तो वहां भर्ती करने के बाद चार दिन तक कोई उपचार नही मिला। एक्स-रे देखने के बाद डॉॅ.महेश मरमट ने नार्मल बताकर डिस्चार्ज कर दिया, लेकिन लखन को पसली में दर्द कम नहीं हो रहा था। इसके बाद लखन को रतलाम ले गए। वहां उसे पसली में फै्रक्चर निकला। लखन अब भी चलफिर नहीं पा रहा है।
इन्हें भी टालते रहे, तीन फ्रैक्चर निकले
इंदौर रोड के गांव नवाखेड़ा निवासी देवेंद्र पिता राजेश पाठक ने बताया बीते महीने दुर्घटना में उन्हें बाएं हाथ के पंजे में चोट पहुंची थी। इसके बाद उन्होंने माधव नगर अस्पताल में डॉ.देवेश पांडे को दिखाया। एक्स-रे देखने बाद डॉ.पांडे ने नार्मल बताते हुए आठ दिन का कच्चा पट्टा चढ़ाने के लिए कहा। कच्चा पट्टा काटने के बाद भी सूजन कम नहीं हुई तो वे फिर से डॉ.पांडे के पास गए तो उन्होंने सूजन आराम से जाने की बात कही और रवाना कर दिया। हाथ में पहले दिन जैसा ही दर्द हो रहा था। लेकिन डॉ.पांडे ने उनकी एक नहीं सुनी। इसके बाद उन्होनें डॉ.सुनील जमींदार को दिखाया। वहां एक्सरे के बाद तीन फै्रक्चर निकले। डॉक्टर ने एक महीने का पक्का पट्टा चढ़ाया है। माधव नगर में उन्हें पट्टा भी उल्टा चढ़ा दिया था।
ठीक से इलाज नहीं, ऑपरेशन की नौबत आई
विद्यापति नगर निवासी राहुल पिता हेमंत शर्मा ने बताया दुर्घटना में उन्हेंं दाएं कलाई में चोट आई थी। इसके बाद उन्होंने माधव नगर अस्पताल में डॉ.देवेश पांडे को दिखाया था। डॉ.पांडे ने चेकअप के बाद नार्मल बताते हुए क्रेक बेंडेज बांधने की सलाह दी। १० दिन बाद जब उन्होनें कच्चा पट्टा निकलवाया तो हाथ जस का तस था। वे फिर से अस्पताल गए तो वहां डॉ.पांडे नहीं मिले। इस पर उन्होंने डॉ.महेश मरमट को दिखाया। डॉ.मरमट ने भी नार्मल बताते हुए एक्स-रे की जरूरत नहीं होने की बात कही। पक्के पट्टे की जरूरत नहीं बताते हुए फिर से कच्चा पट्टा चढ़ाने के लिए लिख दिया। इस पर वे निजी चिकित्सक के पास गए तो उन्होनंे एक्स-रे करवाया इसके बाद उन्होनें फै्रक्चर का गेप अधिक होने से ऑपरेशन के लिए कहा, लेकिन एक चांस लेते हुए फिलहाल एक महीने का पट्टा चढ़ाया है।
आधा-अधूरा इलाज ताकि मरीज परेशान होकर खुद ही चला जाए
एेसा नहीं है कि माधव नगर अस्पताल में केवल यही मरीज परेशान हुए हैं। यहां पदस्थ अधिकांश चिकित्सकों की कार्यशैली ही इसी प्रकार की है। ये मरीजों का रेफर पाइंट है। दुर्घटना, हमले और मारपीट के बाद जिलेभर के मरीज यहां पहुंचते हैं। इसके बाद यहां से मरीजों को फ्रीगंज के निजी अस्पतालों तक पहुंचाने का खेल लंबे समय से चल रहा है। यहां मरीजों को जानबूझकर आधा-अधूरा इलाज दिया जाता है ताकि मरीज खिन्न होकर खुद-ब-खुद यहां से चला जाए। अस्पताल में ऑपरेशन और डॉक्टर उपलब्ध नहीं होने की मजबूरी बताते हुए खुद ही निजी अस्पताल की सेटिंग कर लेते है। अस्पताल में ही मरीजों को निजी अस्पताल में आने वाले खर्च के बारे में बता दिया जाता है। मरीज जब पैसे का इंतजाम कर लेता है तो इसके बाद उससे पर्चेे पर हस्ताक्षर ले लिए जाते हैं कि वह स्वैच्छा से डिस्चार्ज ले रहा है। दर्द और मर्ज से छुटकारा पाने और डॉक्टर के दबाव में मरीज भी जैसा डॉक्टर बोलते है वैसा ही करते हैं। एक फीसदी मामले डॉक्टरों भ्रष्टाचार के प्रकाश में आ पाते हैं।
मैंने तो सेवाभाव से नि:शुल्क ऑपरेशन किया, केवल टांके काटने के पैसे लिए
&निश्चेतना विशेषज्ञ अवकाश पर थे। मरीज ८ दिन तक रुकने को तैयार नहीं था। मैंने एसएस गुप्ता हॉस्पिटल में नि:शुल्क ऑपरेशन सेवाभाव से किया है। केवल रॉड और ओटी का चार्ज लिया गया है।
डॉ.संजय राणा, अस्थि रोग चिकित्सक
मरीज को देखकर ही बता पाऊंगा
&दोनों मरीज को देखकर ही बता पाऊंगा कि क्या स्थिति रही होगी। आप मुझसे अस्पताल में मिलो।
डॉ.देवेश पांडे, अस्थि रोग चिकित्सक
&एक्स-रे की स्पष्टता पर फै्रक्चर निर्भर करता है। जो एक्स-रे माधव नगर अस्पताल में किया गया था। उसमें फै्रक्चर नहीं निकला था। हो सकता है बाद में गेप में बढऩे के चलते एक्स-रे में फै्रक्चर स्पष्ट दिखने लगा हो।
डॉ.महेश मरमट, अस्थि रोग विशेषज्ञ

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