विक्रम विश्वविद्यालय: 20 करोड़ मांग लिए और मिला यह
रूसा में 20 करोड़ के प्रस्ताव, मिले केवल 6 करोड़
रूसा में 20 करोड़ के प्रस्ताव, मिले केवल 6 करोड़
उज्जैन.विक्रम विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत मिलने वाले अनुदान के तहत २० करोड़ रुपए के प्रस्ताव दिए थे। ३ वर्ष के जतन के बाद तीन माह पहले ६ करोड़ रु प्राप्त हुए हैं। प्रस्ताव के अनुसार राशि नहीं मिलने से कई काम अटके हुए हैं। वहीं विश्वविद्यालय में प्राप्त राशि का समायोजन प्रचलित कार्य में करने के प्रयास से अधिकारियों के बीच खींचतान चल रही है। अधिकारी है कि कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
विक्रम विश्वविद्यालय को नैक दल के निरीक्षण के बाद 2015 में ए-ग्रेड मिली थी। इसके बाद विवि ने विकास कार्यों के लिए रूसा से अनुदान प्राप्त करने के लिए करीब २० करोड़ रुपए के प्रस्ताव लगभग तीन वर्ष पहले दिए थे। राशि देने के नाम पर रूसा कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इसके कारण नए भवन, छात्रावास, विकास सहित कई काम अटके हुए हैं। कई बार रूसा को ग्रांट रिलीज करने के लिए पत्र भी भेजे गए लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। हर बार बैठकें और प्रस्तावों में परिवर्तन के नाम पर ग्रांट राशि मिलने की अवधि बढ़ा दी जाती है। विवि को ए.ग्रेड के लिहाज से 20 करोड़ रुपए ग्रांट मिलना है। इसके अलावा प्रस्तावों के आधार पर भी ग्रांट दी जाना है। लम्बे इंतजार के बाद तीन माह पहले विश्वविद्यालय को रूसा में ६ करोड़ रुपए की पहली किस्त मिली है। राशि से भुगतान को लेकर मामला उलझ गया है।
राशि के भुगतान को लेकर प्रक्रिया पर आपत्ति
रूसा से दो बार ग्रांट राशि भी स्वीकृत हुई, लेकिन राशि नहीं मिलने से सभी प्रस्ताव अटके रहे। इसके बाद भी विश्वविद्यालय ने विद्यार्थी, शिक्षक और विश्वविद्यालय के हितों का हवाला देकर स्वीकृति की प्रत्याशा में कई कार्य कर दिए। हर बार बैठकों में प्रस्तावों परिवर्तन के नाम पर ग्रांट राशि मिलने की अवधि बढ़ा दी जाती रहीं। मजे की बात यह कि राशि आने की उम्मीद में इन कार्यों पर विक्रम विवि कार्यपरिषद का अनुमोदन भी प्राप्त कर लिया है। ग्रांट की किस्त देने के लिए कई बार रूसा को रिमाइंडर भेजने के बाद अब राशि आने पर इसका समायोजन पूर्व के प्रचलित कार्यों के भुगतान में करने का प्रयास किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि रूसा की दूसरी किस्त के लिए पहले की किस्त का उपयोगिता प्रमाण-पत्र आवश्यक है। इसे ध्यान में रखकर पूर्व में हुए कार्यों पर राशि का खर्च और समायोजन बता कर भुगतान के लिए प्रयास चल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार अधिकृत अधिकारी ने भुगतान, कार्यों के समायोजन की प्रक्रिया पर आपत्ति लेते हुए प्रस्ताव, निविदा से लेकर निर्माण के सम्पूर्ण दस्तावेजों के बगैर फाइल पर स्वीकृति और हस्ताक्षर से इनकार कर दिया है। एेसी स्थिति में रूसा की राशि और इसके कार्यों को लेकर विवि प्रशासन में खींचतान चल रहीं है। अधिकारी है कि इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
रूसा से यह कार्य प्रस्तावति जो राशि के अभाव में अटके
– कम्प्यूटर सेंट्रल . रूसा से मिलने वाली ग्रांट में से एक करोड़ रुपए की लागत से विवि में कम्प्यूटर सेंट्रल का निर्माण किया जाना है।
– 5 करोड़ रुपए की लागत से नए हॉस्टल भवन के निर्माण का।
– विवि की अध्ययनशालाओं में एक करोड़ रुपए की लागत से नए क्लास रूम बनाया जाना।
– 2 रुपए करोड़ की लागत से विवि की प्रशासनिक भवन का विस्तार, नवीनीकरण, उन्नयन।
– 50 लाख रुपए की लागत से खेल सुविधाओं को बढ़ाने का प्रस्ताव।
– 70 लाख रुपए का प्रस्ताव परिसर विकास से जुड़ा।
– 50 लाख रुपए की लागत से अध्ययनशालाओं में लेबोरेट्रिज का निर्माण किया जाना है।
– एक करोड़ रुपए से विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम का विकास,नवीनीकरण,उन्नयन।
प्रतिक्रिया के लिए टालमटोल
रूसा में २० करोड़ के प्रस्ताव और प्राप्त राशि के उपयोग की स्थिति को लेकर पत्रिका ने कुलसचिव डीके बग्गा से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि प्रोजेक्ट विक्रम विवि राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के निदेशक प्रो.पीके वर्मा देख रहे हैं। सारी जानकारी वर्मा की देंगे। इस इस संबंध में कुछ नहीं बता सकता। इस पर प्रो.वर्मा से चर्चा के प्रयास किए,लेकिन संपर्क ही नहीं हो पाया। विक्रम विवि सहायक कुलसचिव विकास/रूसा नसरीन कौसर का कहना था कि उनकी पदस्थापना अभी हुई है। एेसी स्थिति में रूसा को लेकर कोई जानकारी नहीं है। आप इसके लिए रूसा निदेशक वर्मा से ही बात करें।
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