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राशि-नक्षत्र अनुसार करें 84 महादेव की यात्रा

सावन व अधिकमास में 84 महादेव, नौ नारायण और सप्त सागरों के दर्शन करने उमड़ रही महिलाओं की भीड़

उज्जैनAug 07, 2023 / 01:20 am

rajesh jarwal

Travel to 84 Mahadev according to zodiac sign

सावन व अधिकमास में 84 महादेव, नौ नारायण और सप्त सागरों के दर्शन करने उमड़ रही महिलाओं की भीड़

उज्जैन. लगभग 19 साल के बाद सावन में अधिकमास का संयोग बनने से धर्म-अध्यात्म की नगरी उज्जैन में इन दिनों आस्था की गंगा बह रही है। पुराने शहर से लेकर नए शहर तक सुबह से शाम तक ऑटो-मैजिक, ई रिक्शा और अन्य वाहनों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए निकल रहे हैं। लेकिन इन 84 महादेवों की यात्रा नक्षत्र अनुसार करने पर अधिक पुण्यफल मिलता है। वर्तमान दोष से मुक्त होते हैं। 84 लाख योनियों के आवागमन बंधन से मुक्त होकर परम पुण्य का उदय होता है।
लहरा रही धर्म ध्वजा, अध्यात्म की नगरी में बह रही आस्था की गंगा
ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्णशंकर व्यास के अनुसार 84 महादेव मंदिरों में राशि, नक्षत्र अनुसार आराधना से नवग्रह दोष का समाधान के साथ विशेष पुण्य लाभ प्राप्त होता है। कुल बारह राशियों में 27 नक्षत्र होते हैं, अभिजीत सहित 28 नक्षत्र होते हैं, प्रत्येक नक्षत्र के क्रमश: तीन महादेव बताए गए हैं। आइए जानते हैं किस नक्षत्र में कौन से महादेव का दर्शन-पूजन व कौन सा दान करना चाहिए।
कृतिका नक्षत्र में 1 नंबर पर श्री अगस्त्येश्वर महादेव, दूसरे नंबर पर श्री गुहेश्वर महादेव, तीसरे नंबर पर श्री ढूंढेश्वर महादेव हैं। यहां शुद्ध घी का दान करने का महत्व है।
रोहिणी नक्षत्र में 4 नंबर पर श्री डमरूकेश्वर महादेव, 5वें नंबर के श्री अनादिकल्पेश्वर महादेव तथा छठे नंबर पर
श्री स्वर्णज्वालेश्वर महादेव हैं। यहां घी मिश्रित खीर का दान करना चाहिए।
मृगशिरा नक्षत्र में 7वें नंबर पर श्री त्रिविष्टेश्वर महादेव, 8वें पर श्री कपालेश्वर महादेव तथा 9वें क्रम पर श्री स्वर्णद्वारेश्वर महादेव हैं। यहां पर दूध का दान करें।
आद्रा नक्षत्र में 10वें क्रम पर श्री कर्कोटकश्वर महादेव, 11वें नंबर पर श्री सिद्धेश्वर महादेव तथा 12वें क्रम पर श्री लोकपालेश्वर महादेव आते हैं। यहां पर तिल मिश्रित खिचड़ी का दान करना चाहिए।
पुनर्वसु नक्षत्र में 13वें क्रम पर श्री मनकामनेश्वर महादेव, 14वें नंबर पर श्री कुटुम्बेश्वर महादेव, 15वें क्रम पर श्री इंद्रधुम्नेश्वर महादेव आते हैं। यहां पर मालपुए के दान का महत्व है।
पुष्य नक्षत्र में 16वें क्रम पर श्री ईशानेश्वर महादेव, 17वें क्रम पर श्री अप्सरेश्वर महादेव तथा 18वें नंबर पर श्री कलकलेश्वर महादेव आते हैं। यहां पर चांदी के दान का महत्व है।
अश्लेषा नक्षत्र में 19वें क्रम पर श्री नागचंद्रेश्वर महादेव, 20वें पर श्री प्रतिहारेश्वर महादेव तथा 21वें नंबर पर श्री कुक्कुटेश्वर महादेव आते हैं। यहां पर चांदी और दूध का दान किया जाता है।
मघा नक्षत्र में 22वें क्रम पर श्री कर्कटेश्वर महादेव, 23वें नंबर पर श्री मेघनादेश्वर महादेव तथा 24वें क्रम पर श्री महालयेश्वर महादेव आते हैं। यहां पर तिल के दान का महत्व है।
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में 25वें क्रम पर श्री मुक्तेश्वर महादेव, 26वें नंबर पर श्री सोमेश्वर महादेव और 27वें नंबर पर श्री अनर्कश्वर महादेव आते हैं। यहां पर जल दान करने का महत्व है।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में 28वें क्रम पर श्री जटेश्वर महादेव, 29वें नंबर पर श्री रामेश्वर महादेव तथा 30 नंबर पर श्री च्यवनेश्वर महादेव आते हैं। यहां पर कमल पुष्प दान करने का महत्व है।
हस्त नक्षत्र में 31वें क्रम पर श्री खंडेश्वर महादेव, 32वें नंबर पर श्री पत्तनेश्वर महादेव तथा 33वें क्रम पर श्री आनंदेश्वर महादेव आते हैं। यहां लाल चंदन गुलाब दान करना श्रेष्ठ है।
चित्रा नक्षत्र में 34वें क्रम पर श्री कंधडेश्वर महादेव, 35वें नंबर पर श्री इन्द्रेश्वर महादेव और 36वें क्रम पर श्री मार्कण्डेश्वर महादेव का मंदिर है। यहां पर घी दान का महत्व है।
स्वाति नक्षत्र में 37वें क्रम पर श्री शिवेश्वर महादेव, 38वें नंबर पर श्री कुसुमेश्वर महादेव तथा 39वें नंबर पर श्री अक्रूरेश्वर महादेव का मंदिर आता है। यहां पर चीकू फल दान करना श्रेष्ठ है।
विशाखा नक्षत्र के तहत 40वें नंबर पर श्री कुण्डेश्वर महादेव, 41वें क्रम पर श्री लुम्पेश्वर महादेव और 42वें क्रम पर श्री गंगेश्वर महादेव का मंदिर है। यहां पर द्रव्य करने का महत्व है।
अनुराधा नक्षत्र में 43वें क्रम पर श्री अंगारेश्वर महादेव, 44वें नंबर पर श्री उत्तरेश्वर महादेव और 45वें क्रम पर श्री त्रिलोचनेश्वर महादेव का मंदिर है। यहां पर गर्म वस्त्र व तांबा दान करना श्रेष्ठ है।
ज्येष्ठा नक्षत्र के तहत 46वें नंबर पर श्री वीरेश्वर महादेव, 47वें क्रम पर श्री नुपूरेश्वर महादेव और 48वें नंबर पर श्री अभयेश्वर महादेव का मंदिर आता है। यहां पर रेशमी वस्त्र व मूली का दान किया जाता है।
मूल नक्षत्र के तहत 49वें क्रम पर श्री प्रथुकेश्वर महादेव, 50वें क्रम पर श्री स्थावरेश्वर महादेव और 51वें नंबर पर श्री शुलेश्वर महादेव का मंदिर है। यहां पर कंदमूल फल का दान करें।
पूर्वाषाडा नक्षत्र के अंतर्गत 52वें क्रम पर श्री ओंकारेश्वर महादेव, 53वें नंबर पर श्री विश्वेश्वर महादेव और 54वें क्रम पर श्री नीलकण्ठेश्वर महादेव का मंदिर आता है। यहां पर दधि पात्र का दान करना चाहिए।
उत्तराषाडा नक्षत्र के तहत 55वें क्रम पर श्री ङ्क्षसहेश्वर महादेव, 56वें नंबर पर श्री रेवन्तेवर महादेव तथा 57वें नंबर पर श्री घण्टेश्वर महादेव का मंदिर है। यहां पर मधु यानी शहद का दान करना चाहिए।
अभिजीत नक्षत्र के तहत 58वें क्रम पर श्री प्रयागेश्वर महादेव, 59वें क्रम पर श्री सिद्धेश्वर महादेव तथा 60वें नंबर पर श्री मातंगेश्वर महादेव का मंदिर आता है। इसमें पंचमेवा और घी दान करने का महत्व है।
श्रवण नक्षत्र के तहत 61वें नंबर पर श्री सौभाग्येश्वर महादेव, 62वें क्रम पर श्री रुपेश्वर महादेव तथा 63वें नंबर पर श्री धनुसाहस्त्रेश्वर महादेव का मंदिर है। यहां पर पुस्तक का दान करना चाहिए।
धनिष्ठा नक्षत्र में 64वें क्रम पर श्री पशुपतेश्वर महादेव, 65वें नंबर पर श्री ब्रह्मेश्वर महादेव तथा 66वें क्रम पर श्री जल्पेश्वर महादेव का मंदिर आता है। यहां पर दूध व शहद का दान करना चाहिए।
शतभिषा नक्षत्र में 67वें क्रम पर श्री केदारेश्वर महादेव, 68वें नंबर पर श्री पिशाचमुक्तेश्वर महादेव और 69वें क्रम पर श्री संगमेश्वर महादेव का मंदिर आता है। यहां पर गाय का दान करना श्रेष्ठ है।
पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में 70वें क्रम पर श्री दुर्घरेश्वर महादेव, 71वें नंबर पर श्री प्रयागेश्वर महादेव और 72वें नंबर पर श्री चन्द्रादित्येश्वर महादेव का मंदिर आता है। यहां पर चंदन का दान किया जा सकता है।
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के तहत 73वें क्रम पर श्री करभेश्वर महादेव, 74वें नंबर पर श्री राजस्थलेश्वर महादेव और 75वें क्रम पर श्री बड़लेश्वर महादेव का मंदिर आता है। यहां पर वस्त्र दान का महत्व है।
रेवती नक्षत्र के तहत 76वें क्रम पर श्री अरुणेश्वर महादेव, 77वें नंबर पर श्री पुष्पदन्तेश्वर महादेव तथा 78वें क्रम पर श्री अभिमुक्तेश्वर महादेव का मंदिर आता है। यहां पर कास्य पात्र दान करने का विशेष महत्व है।
अश्विनी नक्षत्र में 79 क्रम पर श्री हनुमंतेश्वर महादेव, 80वें क्रम पर श्री स्वप्नेश्वर महादेव और 81 नंबर पर श्री ङ्क्षपगलेश्वर महादेव के दर्शन करने चाहिए। यहां ध्वजा दान का महत्व है।
भरणी नक्षत्र में 82 वे क्रम पर श्री कायावरोहणेश्वर महादेव, 83 क्रम पर श्री बिल्बकेश्वर महादेव तथा 84 वें नंबर पर श्री दुर्दरेश्वर महादेव के दर्शन का महत्व है। यहां तांबे के कलश का दान करना चाहिए।

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