इस संबंध में पंडित महेश पुजारी का कहना है कि साल में 2 बार शीत और ग्रीष्म ऋतु के अनुसार भगवान महाकाल की दिनचर्या में बदलाव होता है। कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से सर्दी की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन से फाल्गुन पूर्णिमा तक 6 माह भगवान महाकाल गर्म जल से स्नान करते हैं।
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इसी तरह चैत्रकृष्ण प्रतिपदा से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन से शरद पूर्णिमा तक भगवान ठंडे जल से स्नान करते हैं। ऋतु अनुसार निर्धारित इन छह-छह माह में रोजाना होने वाली 5 में से 3 आरती का समय भी बदल जाता है। मौजूदा समय में शीत ऋतु के अनुसार भगवान की सेवा पूजा की जा रही है। 25 मार्च चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से अगले 6 माह गर्मी के अनुसार दिनचर्या होगी।
– भस्म आरती तड़के 4 बजे
– बालभोग आरती सुबह 7.30 बजे
– भोग आरती सुबह 10.30 बजे
– संध्या पूजा शाम 5 बजे
– संध्या आरती शाम 6.30 बजे
– शयन आरती रात 10.30 बजे
– भस्म आरती तड़के 4 बजे
– बालभोग आरती सुबह 7 बजे
– भोग आरती सुबह 10 बजे
– संध्या पूजन शाम 5 बजे
– संध्या आरती शाम 7 बजे
– शयन आरती रात 10.30 बजे