scriptशिव को भांग शृंगार का कोई शास्त्रीय प्रमाण नहीं, विद्वत परिषद का कहना | Shiva does not have any classical proof of bhang shringar says scholarly council | Patrika News
उज्जैन

शिव को भांग शृंगार का कोई शास्त्रीय प्रमाण नहीं, विद्वत परिषद का कहना

उज्जयिनी विद्वत परिषद के अनुसार भगवान शिव को भांग का नैवेद्य तथा भांग का शृंगार का कोई शास्त्रीय अथवा पारम्परिक प्रमाण नहीं है।

उज्जैनSep 07, 2017 / 11:46 am

Gopal Bajpai

patrika

mahakal,Shiva,cannabis,no classical proof,scholarly council

उज्जैन. उज्जयिनी विद्वत परिषद के अनुसार भगवान शिव को भांग का नैवेद्य तथा भांग का शृंगार का कोई शास्त्रीय अथवा पारम्परिक प्रमाण नहीं है। भगवान महाकाल को आए दिन भांग का नैवेद्य लगाने के साथ भांग से शृंगार किया जा रहा है, जो उचित नहीं है। देव मन्दिरों में मदिरा की धारा का प्रसाद लगाए जाना शास्त्र सम्मत नहीं है। परिषद के इस कथन के बाद महाकाल सेना और मंदिर के पुजारियों ने परिषद की प्रमाणिकता पर सवाल उठाए हैं।

उज्जयिनी विद्वत परिषद की बैठक का राम जानकी मंदिर नीलगंगा में आयोजन किया गया। इसमें कहा गया कि विद्वत परिषद ने बताया कि भगवान शिव को भांग का नैवेद्य तथा भांग का शृंगार का कोई शास्त्रीय अथवा पारम्परिक प्रमाण नहीं है। यह परवर्ती व्यवस्था बन गई है। 50 वर्ष पूर्व भगवान महाकाल को केवल रक्षाबंधन पर ही भांग का भोग लगाया जाता था। वर्तमान में आए दिन भांग का नैवेद्य तथा भांग से शृंगार किया जा रहा है, जो उचित नहीं है। बाजार से मिलने वाली भांग में अनेक अम्लीय एवं क्षारीय पदार्थ मिलाए जाते हैं, जिससे शिवलिंग का क्षरण होता है। भगवान महाकाल का रासायनिक रंगों एवं पदार्थों से विविध शृंगार किया जाना भी उचित नहीं है। रासायनिक पदार्थों के लेपन एवं उनसे शृंगार करने से शिवलिंग का क्षरण होता है। अत: केवल चन्दन आदि प्राकृतिक एवं पवित्र वस्तुओं तथा वस्त्र आभूषणों से ही भगवान महाकाल का शृंगार किया जाना चाहिए। महाकाल शिवलिंग पर प्रतिदिन अनेकानेक देवताओं की आकृतियां बनाकर शृंगार नहीं किया जाना चाहिए। यह शास्त्र सम्मत नहीं है। गढ़कालिका मन्दिर में मदिरा भोग की नई परम्परा अनुचित है। इसी प्रकार अन्य देव मन्दिरों में मदिरा की धारा का प्रसाद लगाए जाना शास्त्र सम्मत नहीं है। इसके स्थान पर प्रतीक रूप में ही मदिरा का अर्पण किया जा सकता है। उज्जयिनी विद्वत परिषद की बैठक परिषद के अध्यक्ष डॉ. मोहन गुप्त, डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित, प्रो. बालकृष्ण शर्मा, पं.श्यामनारायण व्यास, डॉ. सदानन्द त्रिपाठी, डॉ. संतोष पण्ड्या उपस्थित थे।

परिषद अपनी मान्यता को स्पष्ट करें
उज्जयिनी विद्वत परिषद की ओर महाकाल पर नियमित भांग के अर्पित करने और भांग के शृंगार को अनुचित बताने पर महाकाल सेना के राष्ट्रीय प्रमुख और महाकाल मंदिर के पुजारी महेश पुजारी ने विरोध जाहिर करते हुए कहा कि परिषद पहले तो स्पष्ट करें कि इस संस्था/संगठन को किस हिन्दू मठ,संस्था या संगठन से १०० रुपए के स्टाम्प पर मान्यता मिली है या नहीं। इसके अलावा देवताओं द्वारा निषेद्य सभी सामग्री का उपयोग भगवान शिव करते हैं। इसमें भांग भी शामिल है ,जिसे शिवबुटी भी कहा जाता है। शिव को भांग के साथ-साथ धतुरा-आंकड़ा भी प्रिय है। इसें अलावा कथित परिषद ने महाकाल को भांग का नैवेद्य लगाने, भांग से शृंगार को अनुचित बताने से पहले शंकराचार्यों से अभिमत लिया है। परिषद किस आधार पर महाकाल में भांग के उपयोग को अनुचित बता रही हैं। चंद विद्वानों की एक संस्था निराधार बातें कर रही है।

प्राकृतिक पदार्थ से निर्मित
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य और पुजारी प्रदीप गुरु का कहना है कि भांग तो एक प्राकृतिक पदार्थों से निर्मित औषधि है। मंदिर में भगवान को अर्पित होने वाली भांग तो शासन की ओर से अधिकृत स्थान से आती है। इसमें किसी मिलावट का प्रश्न ही नहीं है। इसके अलावा भगवान के शृंगार में किसी प्रकार के रासायनिक पदार्थ या स्प्रे का उपयोग नहीं होता है।

Hindi News / Ujjain / शिव को भांग शृंगार का कोई शास्त्रीय प्रमाण नहीं, विद्वत परिषद का कहना

ट्रेंडिंग वीडियो