इस बार भी यह दीपपुंज सैकड़ों दीपों से जगमगा उठा। मंदिर के दीप स्तंभों पर दीपक लगाने वालों की मन्नत जल्दी पूरी हो जाती है। दो दीप स्तंभों में एक हजार 11 दीपक एक साथ जलाए जाते हैं। यह अद्भुत शक्तिपीठ हरसिद्धि ( harsiddhi mata temple ) के नाम से प्रसिद्ध है। हर समय यहां भक्तों की भीड़ रहती है। नवरात्रि ( navratri 2020 ) के समय धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। रात्रि को आरती में उल्लासमय वातावरण होता है। यह मंदिर महाकाल मंदिर ( mahakaleshwar temple ) से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
सिद्धि प्राप्त करने का स्थान
यह मंदिर तंत्र साधना और विशिष्ट सिद्धियां प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध है। महाकाल वन क्षेत्र में होने के कारण यहां सिद्धियां शीघ्र प्राप्त होती हैं, यही वजह है कि भक्त गुप्त साधनाओं में लीन रहकर चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त करते देखे जा सकते हैं। श्रीसूक्त और वेदोक्त मंत्रों के साथ होने वाली तांत्रिक साधनाओं का महत्व बहुत ज्यादा है। भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए यहां विशेष तिथियों पर भी पूजन करवाया जाता है। नवरात्र की पंचमी पर मां चामुंडा के दरबार में 56 भोग लगाए जाते हैं। माता का अद्भुत श्रृंगार किया जाता है। प्रसाद का वितरण किया जाता है। माता का भव्य शृंगार किया जाता है और महाआरती का भी आयोजन होता है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
कोरोनाकाल में नई गाइडलाइन
सभी मंदिरों में कोरोनाकाल के चलते इस बार गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होगा। किसी भी भक्त को बगैर मास्क, सैनेटाइजर के प्रवेश नहीं दिया जाएगा। सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन कराया जाएगा। यहां तक कि इस बार माता के दरबार में पुष्प और प्रसाद चढ़ाने नहीं दिया जाएगा। कोरोना के बीच श्रद्धालुओं की संख्या कम नहीं हो रही है। नवरात्रि के दूसरे दिन भी उज्जैन के हरसिद्धि में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। यहां प्रशासन को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ रही है।