script2 साल से इस संत ने त्याग रखी थी चप्पल, खाना-पीना भी छोड़ दिया था, आज पूरी हो गई कामना | saint Sacrifice slippers for 2 years also Sacrifice eating and drinking today his wishes fulfilled | Patrika News
उज्जैन

2 साल से इस संत ने त्याग रखी थी चप्पल, खाना-पीना भी छोड़ दिया था, आज पूरी हो गई कामना

इस अनशन के पीछे महामंडलेश्वर ज्ञानदास महाराज का संकल्प था कि मां क्षिप्रा में मिलने वाले गंदे नालों का पानी बंद हो, ताकि श्रद्धालु साफ नदी के जल में स्नान करें।

उज्जैनJan 05, 2024 / 09:36 pm

Faiz

news

2 साल से इस संत ने त्याग रखी थी चप्पल, खाना-पीना भी छोड़ दिया था, आज पूरी हो गई कामना

महाकाल की नगरी उज्जैन के निर्मोही अखाड़े के महामंडलेश्वर ज्ञानदास महाराज ने बीते 5 नवंबर 2021 को चप्पल त्याग दी थी। यही नहीं उन्होंने अन्न भी त्याग दिया था। बता दें कि ये त्याग महामंडलेश्वर ने शिप्रा नदी के शुद्धिकरण के लिए किया था। अपने अनशन के चलते वो बीते 2 वर्षों से सर्दी, गर्मी और बारिश में नंगेपांव ही चल रहे थे। इस सब के पीछे उनका संकल्प था कि मां क्षिप्रा में मिलने वाले गंदे नाले बंद हों, ताकि श्रद्धालु साफ-सुथरे नदी के जल में स्नान कर सकें। अब जब उनका संकल्प पूरा हो गया तो खुश होते हुए आज उन्होंने अपना अनशन खत्म कर लिया है।

बाबा महाकाल की नगरी और मां हरसिद्धि दोनों ही शिव और शक्ति के स्वरूप में यहां विराजित हैं। जैसे गंगा पापनाशिनी हैं, वैसे ही उज्जैन की मां क्षिप्रा मोक्षदायिनी हैं। माना जाता है कि किसी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद अगर उसकी अस्थियां क्षिप्रा में प्रवाहित कर दी जाती हैं तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है। यही कारण है कि देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर के अलग अलग देशों में जब किसी हिंदू समुदाय के शख्स की मृत्यु होती है तो उसके शोकाकुल मां क्षिप्रा में उसकी अस्थियां विसर्जित करने के साथ साथ आस्था की डुबकी लगाने आते हैं।

 

यह भी पढ़ें- संस्कृत में मेच की कमेंट्री, धोती-कुर्ता पहनकर मैदान में उतरे खिलाड़ी, जीतने वाली टीम जाएगी अयोध्या


780 दिनों से अनशन पर थे महामंडलेश्वर

news

क्षिप्रा नदी में मिल रहे गंदे नाले, इंदौर से आने वाली कान्ह नदी के गंदे पानी के साथ साथ कई नाले-नालियों का पानी क्षिप्रा के जल में मिलने से खफा हुए मंगलनाथ रोड पर भगवान अंगारेश्वर मंदिर के पास दादू आश्रम के ज्ञानदास बीते 780 दिनों से अनशन पर थे। उन्होंने क्षिप्रा नदी की दुर्दशा पर चिंता जताते हुए चप्पल तो छोड़ ही दी थी, साथ ही भोजन भी त्याग दिया था। इस अवधि में सिर्फ उन्होंने फल और दूध का सेवन ही किया था।

 

यह भी पढ़ें- हैवानियत की सारी हदें पार, खेत में घुस रही गायों के पैरों में ठोक दी कीलें


गंगा प्रोजेक्ट के तहत शुद्ध होगी शिप्रा

news

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरु की गई नदियों के शुद्धिकरण कीयोजना गंगा प्रोजेक्ट के तहत ही शिप्रा नदी के शुद्धिकरण का कार्य शुरु किया जाएगा। गंगा प्रोजेक्ट के तहत देश की सभी जीवनदायिनी नदियों को शुद्ध और प्रभाव वान करने का काम किया जा रहा है। विधायक अनिल जैन और सांसद अनिल फिरोजिया ने उज्जैन पहुंचकर उन्हें भरोसा दिलाया की अब शिप्रा शुधीकरण का काम शुरु हो गया है। इसलिए आप अपना अनशन समाप्त करें। ज्ञान दास जी महाराज ने उनकी बातों पर भरोसा करके आज अपना
अनशन खत्म कर लिया है।

 

यह भी पढ़ें- राम मंदिर के ध्वज पर सूर्य के साथ अंकित होगा वृक्ष, भगवान राम से है इस पेड़ का खास संबंध


मां शिप्रा में आस्था की डुबकी से होती है मोक्ष की प्राप्ति

उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले मां क्षिप्रा में आस्था की डुबकी लगाते हैं। माना जाता है कि क्षिप्रा नदी में एक डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए श्रद्धालु बड़ी आस्था के साथ उज्जैन पहुंचते हैं। लेकिन बीते कई वर्षों से क्षिप्रा नदी की हालत निंदनीय होती जा रही थी, इसके पीछे वजह थी आसपास के गंदे नालों का पानी नदी में मिलना। नदी की इसी हालत को देखते हुए उज्जैन के संत ने मां क्षिप्रा को शुद्ध कराने के संकल्प के तहत अनशन शुरु किया था।

//?feature=oembed

Hindi News/ Ujjain / 2 साल से इस संत ने त्याग रखी थी चप्पल, खाना-पीना भी छोड़ दिया था, आज पूरी हो गई कामना

ट्रेंडिंग वीडियो