बाबा महाकाल की नगरी और मां हरसिद्धि दोनों ही शिव और शक्ति के स्वरूप में यहां विराजित हैं। जैसे गंगा पापनाशिनी हैं, वैसे ही उज्जैन की मां क्षिप्रा मोक्षदायिनी हैं। माना जाता है कि किसी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद अगर उसकी अस्थियां क्षिप्रा में प्रवाहित कर दी जाती हैं तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है। यही कारण है कि देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर के अलग अलग देशों में जब किसी हिंदू समुदाय के शख्स की मृत्यु होती है तो उसके शोकाकुल मां क्षिप्रा में उसकी अस्थियां विसर्जित करने के साथ साथ आस्था की डुबकी लगाने आते हैं।
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780 दिनों से अनशन पर थे महामंडलेश्वर
क्षिप्रा नदी में मिल रहे गंदे नाले, इंदौर से आने वाली कान्ह नदी के गंदे पानी के साथ साथ कई नाले-नालियों का पानी क्षिप्रा के जल में मिलने से खफा हुए मंगलनाथ रोड पर भगवान अंगारेश्वर मंदिर के पास दादू आश्रम के ज्ञानदास बीते 780 दिनों से अनशन पर थे। उन्होंने क्षिप्रा नदी की दुर्दशा पर चिंता जताते हुए चप्पल तो छोड़ ही दी थी, साथ ही भोजन भी त्याग दिया था। इस अवधि में सिर्फ उन्होंने फल और दूध का सेवन ही किया था।
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गंगा प्रोजेक्ट के तहत शुद्ध होगी शिप्रा
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरु की गई नदियों के शुद्धिकरण कीयोजना गंगा प्रोजेक्ट के तहत ही शिप्रा नदी के शुद्धिकरण का कार्य शुरु किया जाएगा। गंगा प्रोजेक्ट के तहत देश की सभी जीवनदायिनी नदियों को शुद्ध और प्रभाव वान करने का काम किया जा रहा है। विधायक अनिल जैन और सांसद अनिल फिरोजिया ने उज्जैन पहुंचकर उन्हें भरोसा दिलाया की अब शिप्रा शुधीकरण का काम शुरु हो गया है। इसलिए आप अपना अनशन समाप्त करें। ज्ञान दास जी महाराज ने उनकी बातों पर भरोसा करके आज अपना
अनशन खत्म कर लिया है।
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मां शिप्रा में आस्था की डुबकी से होती है मोक्ष की प्राप्ति
उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले मां क्षिप्रा में आस्था की डुबकी लगाते हैं। माना जाता है कि क्षिप्रा नदी में एक डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए श्रद्धालु बड़ी आस्था के साथ उज्जैन पहुंचते हैं। लेकिन बीते कई वर्षों से क्षिप्रा नदी की हालत निंदनीय होती जा रही थी, इसके पीछे वजह थी आसपास के गंदे नालों का पानी नदी में मिलना। नदी की इसी हालत को देखते हुए उज्जैन के संत ने मां क्षिप्रा को शुद्ध कराने के संकल्प के तहत अनशन शुरु किया था।