आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश में जेल में कैदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद के तहत आत्मनिर्भर बनाने का काम तेजी से जारी है। जिन बंदियों को सश्रम कारावास हो चुका है, उन्हें अपनी हुनरमंदी दिखाने का मौका दिया जा रहा है। इसी के तहत प्रदेश के उज्जैन, इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर समेत कई जेलों में बंद हजारों की संख्या में कैदी जेल के अंदर एक से बढ़कर एक सामान बना रहे हैं, जिनकी जेल के बाहर अच्छी खासी डिमांड है।
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इंदौर के कैदियों ने बनाया हर्बल गुलाल
इंदौर जेल अधीक्षक अलका सोनकर ने बताया कि, बीते दिनों होली पर इंदौर जेल में हर्बल गुलाल तैयार करने का ऑर्डर मिला था। इस हर्बल गुलाल की बाजार में काफी डिमांड है। हर्बल गुलाल के काम में लगे दर्जनों कैदियों को इससे खूब मनोबल बढ़ा।
उज्जैन के कैदी चला रहे एक दर्जन फैक्ट्रियां
वहीं, दूसरी तरफ उज्जैन जेल अधीक्षक उषा राज के अनुसार, हाल ही में बंदियों को 5 हजार बेडशीट और 5 हजार सलवार कुर्ती के ऑर्डर मिले हैं। उज्जैन की जेल में कैदियों द्वारा पेंटिंग, सिलाई, लकड़ी की कारीगरी, लोहे के सामान, स्टेच्यू, पावर लूम आदि की एक दर्जन फैक्ट्रियां चलाई जा रही हैं। प्रदेश सरकार और जेल विभाग भी बंदियों का मनोबल बढ़ाने के लिए काफी प्रयास कर रहा है। हाल ही में जेल विभाग के प्रमुख अधिकारियों ने बैठक में फैसला लिया गया कि, बंदियों द्वारा बने सामान को शॉपिंग मॉल समेत उचित प्लेटफार्म पर भी बेचने की व्यवस्था की जाएगी, जिसे बैठक में स्वागत योग्य माना गया।
20 फीसदी कैदी दिखा रहे हुनर
जेल अधिकारियों के मुताबिक, जेलों में बंद 20 फीसदी से अधिक कैदी अलग-अलग कामों में जुटे हुए हैं। जेल में तैयार किये जा रहे सामान की लगातार डिमांड बढ़ रही है। जेल विभाग द्वारा पूरा सहयोग कर कच्चा माल उपलब्ध करा रहा है। इसपर उचित मुनाफा जोड़ने के बाद संबंधित सामान को बाजार में बेच दिया जाता है।
समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के मिल रहे 100 रुपए रोजाना
जेल अधीक्षक अलका सोनकर के मुताबिक कैदियों को प्रतिदिन काम करने की एवज में लगभग 100 रुपए का पारिश्रमिक दिया जाता है। ये पारिश्रमिक उनके खातों में जमा कर दिया जाता है। जेल अधीक्षक अलका सोनकर के अनुसार, इस तरह जेल में बंद कैदियों का समय भी कट जाता है, साथ ही इनके हाथ एक हुनर भी आता है। वहीं, सबसे अहम ये कि, जुर्म के कार्यों को छोड़कर इनका दिमाग सामाजिक कार्यों की तरफ आकर्षित होता है। जिसके परिणाम ये देखे ज रहे हैं कि, अकसर बंदी अपराध की दुनिया से किनारा कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।
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