एक से बढ़कर एक मधुर गीतों को स्वरबद्ध किया
संस्था स्वरोद्गम द्वारा पिछले 6 वर्षों से मुकेशजी के जन्मोत्सव पर गीतों से भरी सांझ का आयोजन किया जा रहा है। इसी शृंखला में रविवार को विशेष कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में शंकर शर्मा, राज राजेश्वरी, डॉ. कल्पना आर्य ने एक से बढ़कर एक मधुर गीतों को स्वरबद्ध किया। संगतकार के रूप में की-बोर्ड पर अभिजीत गौड़, ढोलक-कांगो पर लोकेश उपाध्याय, गिटार पर योगेश कान्हेरे, तबला पर सुमित मालवीय व सचिन जाधव ने संगत की। आयोजन में विशेष सहयोग संस्था संवाद के पं. दिलीप उपाध्याय, मंच सज्जा नंदन चावड़ा, विक्रम सिंह चौहान व विशाल मेहता थे। परिकल्पना रितेश पंवार व को-ऑर्डिनेटर संजय बागड़ी की थी। संचालन विद्याधर मुले ने किया। अतिथि के रूप में राजेंद्र वशिष्ठ मौजूद रहे।
इन गीतों से बांधा समां
खुशी की वो रात आ गई, पिया ऐसो जिया में समाय गयो रे, ऐ दिल मुझे बता दे, ओ मेहबूबा, साथ हो तुम और रात जवां, हमरे गांव कोई आएगा, ये लो मैं हारी पिया, मेरी तमन्नाओं की तकदीर तुम संवार दो, तेरी निगाहों पे मर-मर गए हम, चेहरे से जरा आंचल, ये किसने गीत छेड़ा, हम तो तेरे आशिक हैं सदियों पुराने, धीरे रे चलो मेरी बांकी हिरनिया, तौबा ये मतवाली चाल जैसे गीतों पर श्रोता देर तक झूमते रहे। गीतों के बीच में मुकेशजी से जुड़े अनसुने किस्से संचालन कर रहे विद्याधर मुले ने सुनाए, तो लोगों में गीतों को सुनने का मजा दोगुना हो गया।
भारतीय संगीत को ईश्वर ने नवाजा
गीतों से भरे इसे प्रोग्राम में कहा गया कि भारतीय संगीत को ईश्वर ने कई रूपों से नवाजा है। कुछ आवाजों ने भारतीय जनमानस को बहुत गहरा छुआ है, उन्हीं आवाजों में से एक अमर आवाज मुकेशचंद्र माथुर की है, जिन्हें संगीत प्रेमी मुकेश के नाम से पहचानते हैं। सबके मन के छुपे दर्द को गीतों में ऐसा उतारा कि हर दिल को अपनी ही बात लगी। मुकेश के गाएगीत याने सिर्फ दर्द भरे गीत ही नहीं, बल्कि उनके रोमांटिक और मस्ती भरे गीतों को भी कई दशकों तक श्रोता गुनगुनाएंगे।