शाही सवारी में सिंधिया राजघराने के वंशज के शामिल होने की परंपरा रही है और माधवराव सिंधिया के बाद ज्योतिरादित्य इस परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं। शाही सवारी के लिए महाकाल मंदिर और रास्तों पर आकर्षक पुष्प सज्जा की जा रही है। सवारी शाम 4 बजे आरंभ होकर बड़े गणेश मंदिर, हरसिद्धि के समीप से नृसिंह घाट के समीप होकर रामघाट पहुंचेगी, जहां क्षिप्रा के जल से बाबा का अभिषेक-पूजन आरती होगी।
इसके बाद सवारी पुन: रवाना होगी जो रामानुजकोट, हरसिद्धि मंदिर होते हुए महाकाल मंदिर लौटेगी। सवारी में पालकी में श्री चन्द्रमौलीश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश व रथ पर पंचमुखारविन्द के दर्शन होंगे। पूरे लाव लश्कर के साथ बाबा महाकाल नगर भ्रमण पर निकलेंगे। सवारी में कहार, प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस बल, पुजारी-पुरोहित और मंदिर से जुड़े कर्मचारी शामिल होंगे। आम श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा।
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हालांकि श्रद्धालुओं के लिए महाकाल की सवारी के आनलाइन दर्शन की व्यवस्था की गई है. महाकाल सवारी का लाइव प्रसारण किया जाएगा जिसे लोग घर बैठे देख सकेंगे. इस साल की अंतिम शाही सवारी में महाकाल के पांच स्वरूपों के दर्शन हो सकेंगे. महाकाल के पांचों स्वरूपों को अलग—अलग विराजित किया जाता है पर कोविड गाइडलाइन के कारण इस बार ऐसा नहीं हो सकेगा.