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उज्जैन

EXCLUSIVE: नित्यानंद बोले ड्रग, डिप्रेशन और डेथ से बचाएगा डिवाइन पॉवर

वे सिर्फ 38 वर्ष के हैं, लेकिन दुनिया के 50 से अधिक देशों में उनके अनुयायी हैं। 40 से अधिक मंदिर और आश्रम हैं, जहां वे वैदिक जीवन पद्धति की शिक्षा देते हैं। 2010 में एक बड़े विवाद ने उन्हें अलग वजहों से चर्चित किया। 

उज्जैनApr 26, 2016 / 12:18 pm

Lalit Saxena

Nityananda smiled the whole time utterly unaffecte

Nityananda smiled the whole time utterly unaffected by the controversial image

उज्जैन. जी हां, परमहंस नित्यानंद की ही बात हो रही है। सिंहस्थ महाकुंभ में पूरे लाव-लश्कर के साथ शामिल हो चुके नित्यानंद पत्रिका से बातचीत में विवादित छवि से सर्वथा अप्रभावित हो पूरे समय मुस्कराते रहे। वैदिक जीवन शैली को पुनरस्थापित करना चाहते हैं, साफ कहते हैं ड्रग, डिप्रेशन और डेथ से डिवाइन पॉवर ही बचा सकता है। –अमित मंडलोई की चर्चा…

कैसे मिलेगा नित्यानंद
आप हर स्थिति में मुस्कराते रहते हैं। आम आदमी को ऐसा नित्य-आनंद कैसे मिल सकता है?
जवाब : हमारी मुश्किल यही है हम अपेक्षाएं तो रखते हैं, लेकिन उनकी जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं हैं। नित्यानंद तब ही पा सकते हैं जब या तो अपेक्षाएं खत्म कर दें या उनकी जिम्मेदारियां उठाना शुरू कर दें। लोग टॉक्सिक मेंटल सेटअप में जी रहे हैं। सर्पदंश से मरने वाले 97 फीसदी लोग सांप का जहर दिमाग में पहुंचने से पहले ही डर से मर जाते हैं। इसे ड्राय डेथ कहते हैं।

इतना दिखावा क्यों
आप वैदिक जीवन शैली का प्रचार करने का दावा करते हैं फिर इतना दिखावा क्यों?
जवाब : वैदिक जीवन शैली भिक्षुक शैली नहीं थी। अंग्रेजों के आने से पहले हम दुनिया के सबसे अमीर देश थे। यह वैभव हमारी उसी परंपरा का हिस्सा है। अमेरिका और यूरोप के पास जितना सोना है, उससे ज्यादा तो हमारे देश की घरेलू महिलाओं के स्टॉक में है। ग्रेनाइट का दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर हमारे पास तंजोर में है। दुनिया की सबसे बड़ी कविता महाभारत भी हमारी है। 

संत या धार्मिक उद्यमी 
कई संत उद्यम की तरह धर्म प्रचार कर रहे हैं। आपके आश्रम में भी मूर्तियां बनाने के लिए फाउंड्री है?
जवाब : बाकी लोगों पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। हमारे यहां फाउंड्री में जो मूर्तियां बनाई जाती हैं वे विक्रय के लिए नहीं हैं। ये मूर्तियां दुनियाभर के हमारे मंदिरों में ही जाती हैं। 

मंदिर और मूर्ति पूजा क्यों 
दुनिया मंगल पर जा रही है, हम मूर्ति पूजा कर रहे हैं?
जवाब : हम मूर्ति नहीं पूजते, मूर्ति के माध्यम से ईश्वर की पूजा करते हैं। सारे मंदिर हटा देंगे तो लोग आतंकवादी हो जाएंगे। हमारे मंदिर अपराध रोकने के केंद्र हैं। यूरोप और अमेरिका के रिकॉर्ड मिला लें। भक्ति लोगों को स्थिर रखती है। 

खुद को रिलांच कर रहे हैं
इतने विवादों के बाद सिंहस्थ महाकुंभ में इतने ताम-झाम के साथ आए हैं कहीं खुद को रिलांच तो नहीं कर रहे हैं?
जवाब : बहुत जोर से हंसते हुए, नो कमेंट।

जीवन का लक्ष्य
छोटी उम्र में इतना कुछ कर चुके हैं, आगे क्या करना हैं?
जवाब : वैदिक जीवन शैली को पुनस्र्थापित करना चाहता हूं। वैदिक कृषि, कपड़े पहनने के वैदिक ढंग और वैदिक भोजन पद्धति को पुनजीर्वित करना चाहता हूं। हमारी पूरी शिक्षाएं आगम पर आधारित हैं। जो जीवन शैली भगवान शिव ने मां पार्वती को दी थीं, हम उसे ही लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।

थर्ड आई जादू नहीं
आंख पर पट्टी बांध बच्चे वाट्सएप के मैसेज कैसे पढ़ रहे हैं?
जवाब : मनुष्य में कोई 400 प्रकार की अद्भुत शक्तियां हैं। ध्यान, सिद्ध अद्वैत योग का अभ्यास उन शक्तियों को जाग्रत कर सकता है। यह वैदिक विज्ञान है। इसमें किसी तरह का जादू नहीं है। अभी हम यहां शिविर में 60 प्रकार की ऊर्जा के विकसित स्वरूप के दर्शन कर सकते हैं, शेष 340 भी कर सकते हैं।

दुनिया को अनुभव दे रहा हूं
इतने देशों में अनुयायी कैसे बने?
जवाब : मेरे गुरु ने मुझे ज्ञान नहीं दिया, हर बात का अनुभव कराया। मैं भी लोगों को अनुभव दे रहा हूं। जाहिर है फर्क तो होगा ही।

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