ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि धर्मसिंधु की मान्यतानुसार 7 मार्च मंगलवार को धुलेंडी मनेगी। भद्रा का कोई दोष मान्य नहीं, 6 मार्च की सायंकाल पूर्णिमा तिथि की पूर्णता भारत के लगभग सभी पंचांग में 6 तारीख की मान्यता है। पंचांग गणना अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर होलिका पूजन की मान्यता है। इस बार भी 6 को सोमवार के दिन मघा नक्षत्र के साक्षी एवं सुकर्मा योग तथा सिंह राशि के चंद्रमा की प्रति साक्षी में प्रदोष काल के दौरान शाम 6.29 पर होलिका का पूजन होगा।
6 को होलिका की पूजन, 7 को धुलेंडी !
वर्तमान में होलिका की पूजन की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति चल रही है जो कि न्याय संगत नहीं है। धर्म सिंधु की मान्यतानुसार देखें तो धर्मसिंधु ग्रंथ पर पेज नंबर 218, 219, 220 पर इस संदर्भ को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है, जिसमें भद्रा, प्रदोष काल, हो या पूर्णिमा तिथि इन तीनों का अलग अलग और संयुक्त विवेचन किया गया है। संपूर्ण गणना के बाद 6 तारीख सोमवार को प्रदोष काल में ही होलिका की पूजन श्रेष्ठ है और मध्य रात्रि या ब्रह्म मुहूर्त में दहन की परंपरा को आगे बढ़ाना चाहिए एवं छारेण्डी अर्थात धुलेण्डी दहन के अगले दिन मनाने का परंपरागत नियमन करना चाहिए।
दोष मान्य नहीं
धर्म शास्त्रीय गणना अनुसार व्रत, पर्व काल, विशेष में खासकर तब जब वह प्रदोष काल और पूर्णिमा की तिथि को लेकर हो ऐसी स्थिति में भद्रा का मुख या पूंछ स्पर्श करते हों तो शास्त्र उसको भी त्यागने की बात कहता है अर्थात भद्रा का मुख या पूंछ भी होने से उस त्योहार को दोष मान्य नहीं होगा। इस दृष्टिकोण से भी पूजन करना चाहिए।