जानकारी के अनुसार बैकुंठ चतुर्दशी के दिन महाकालेश्वर मंदिर से बाबा महाकाल की विशेष रूप से सवारी निकाली जाती है। महाकाल की यह विशेष सवारी रात को निकलती है। महाकाल की यह सवारी अगहन महीने में निकलनेवाली चार सवारियों से अलग यानि पांचवीं सवारी होती है।
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महाकाल की इस सवारी को हरिहर मिलन सवारी के रूप में भी जाना जाता है। महाकालेश्वर मंदिर से यह सवारी बुधवार रात करीब 11 बजे रवाना हुई। जो मुख्य मार्गों से होते हुए रात को ही ठीक 12 बजे गोपाल मंदिर पहुंची। जहां पर हरिहर मिलन हुआ। इस अवसर पर भगवान शिव की ओर से भगवान कृष्ण को बिल्वपत्र की माला अर्पित की गई। वहीं भगवान कृष्ण की ओर से शिवजी को तुलसी की माला भेंट की, महाकाल मंदिर समिति सदस्यों के अनुसार चातुर्मास से जागने के बाद भगवान शिव सभी अलौकिक व्यवस्थाएं भगवान विष्णु को सौंप देते हैं। सदस्यों ने बताया कि उसी परंपरा का निर्वहन करते हुए यह सवारी निकाली जाती है।