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एक हजार साल तक इसी तरह खड़ा रहेगा गेट
महाकालेश्वर मंदिर से रामघाट जाने वाले रास्ते पर जीर्णशीर्ण हो चुके महाकाल द्वार की मरम्मत का काम जोरों शोर पर चल रहा है। स्मार्ट सिटी के तहत इस काम को किया जा रहा है। लेकिन इस द्वार की मरम्मत ऐसे की जा रही है जिसे देखकर एकबारगी लगेगा कि, कहीं किचन का कोई काम चल रहा है। यानी मजदूरों द्वारा कोई व्यंजन बनाने की तैयारी की जा रही है। लेकिन, हकीकत में इससे गेट की मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। खासतौर पर महाकाल द्वार का जीर्णोंद्धार करने के लिये चंदेरी और ललितपुर खास कारीगर बुलाए गए हैं। कारीगरों का मानना है कि, इस काम के बाद अगले एक हजार साल तक इस गेट की चमक इसी तरह बनी रहेगी।
देसी चीजों का कमाल
महाकालेश्वर मंदिर से रामघाट जाने को पुरातन स्वरूप में बने प्राचीन महाकाल द्वार का जीर्णोंद्धार पुरानी पद्धति से कराने की एक बड़ी वजह ये भी है कि, पुरात्व में आने वाली चीजों के रिनोवेशन में सीमेंट का इस्तेमाल करना प्रतिबंधित होता है। सीमेंट से ज्यादा चूने द्वारा की जाने वाली चुनाई को अधिक मजबूत और भरोसेमंद माना जाता है। सीमेंट की मजूबती 80 साल तक बनी रहती है, लेकिन चूना, गुड़, मैथी, गूगल और उड़द के पानी से बनाए जाने वाले मिश्रण की लाइफ एक हजार साल से अधिक तक मजबूत रहता है।
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2.12 करोड़ की लागत से बनेगा गेट
उज्जैन के महाकाल थाने के नजदीक बने इस गेट महाकाल मंदिर मात्र 100 मीटर की दूरी पर ही रह जाता है। इस द्वार के रास्ते रामघाट सीधे पहुंचा जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों से यह रास्ता द्वार जीर्णशीर्ण होने के कारण बंद कर दिया गया था। उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी ने महाकाल मंदिर परिसर विस्तार परियोजना शुरू की। इसपर कुल 700 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। गेट का जीर्णोद्धार भी इसी के अंतर्गत किया जा रहा है। इस साल के अंत तक काम पूरा हो जाएगा. प्रोजेक्ट की लागत 2.12 करोड़ रुपये आने का बजट आवंटित किया गया है।
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